नई दिल्ली. लंबे समय से आशियाना मिलने का इंतजार कर रहे आम्रपाली के हजारों खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। शीर्ष अदालत की तरफ से अपने आदेश में कहा गया कि आम्रपाली ग्रुप के अधूरे प्रोजेक्ट को एनबीसीसी पूरा करेगा। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने सख्त टिप्प्णी करते हुए कहा कि आम्रपाली ग्रुप ने मनी लॉन्ड्रिंग की है। अदालत ने पूरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय को मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच करने के भी आदेश दिए। गौरतलब है कि आम्रपाली ग्रुप के मामले में अदालत ने 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
खरीदारों के पैसे को कहीं और डायवर्ट किया गया
कोर्ट के इस फैसले से आम्रपाली के करीब 45000 खरीदारों को राहत मिली है। अदालत के निर्देशानुसार होम बायर्स पेंडिंग अमाउंट तीन महीने में जमा कराना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम्रपाली के डायरेक्टर्स ने खरीदारों के पैसे को कहीं और डायवर्ट किया। फ्लैट की बोगस अलॉटमेंट की गई और बड़ी धोखाधड़ी हुई है। उच्चतम न्यायालय ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को आदेश दिया कि आम्रपाली की लीज रद्द की जाए। साथ ही कहा कि नोएडा अथॉरिटी आम्रपाली के बायर्स पर कार्रवाई न करे।
रजिस्ट्रेशन रद्द करने का आदेश
आम्रपाली ग्रुप का RERA के तहत किया गया रजिस्ट्रेशन भी रद्द करने के लिए कहा। अदालत ने कहा कि घर खरीदार बाकी बचे हुए पैसे को तीन महीने में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करा दे। अदालत ने पूरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय को मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच करने के भी आदेश दिए। अदालत ने आर वेंकट रमानी को कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साल 2015 से 2018 के बीच आम्रपाली का अकाउंट मैंटेन नहीं था, इसी दौरान पैसा इधर से उधर हुआ है।