सौम्या केसरवानी। Navpravah.com
टमाटर के बाद अब आम आदमी को प्याज के लिए आंसू बहाना पड़ेगा। केन्द्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी का दावा है कि प्याज की कीमतों में जारी उछाल महज एक तत्कालिक मामला है और अगस्त के मध्य में नई फसल आने के बाद कीमतें वापस अपने उचित स्तर पर लौट आएंगी।
देश में प्याज की पैदावार तो अच्छी है, लेकिन इसके एक्सपोर्ट में हो रही बढ़ोतरी की वजह से कीमतों में इजाफा हो रहा है। दूसरी ओर बरसात की वजह से कई मंडियों में सप्लाई प्रभावित हुई है, जो कीमतों को बढ़ा रही है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार मेट्रो शहरों में प्याज का खुदरा मूल्य 32 से 40 रुपये किलो के दायरे में है, कुछ थोक बिक्री बाजारों में प्याज की कीमत 20 से 22 रुपये प्रति किलो के दायरे में है। कृषि मंत्रालय द्वारा कीमतों की करीब से निगरानी कर रहे हैं और उसका दावा है कि यह अधिक समय तक नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि जल्दी तैयार होने वाली खरीफ प्याज, जो अभी तक कर्नाटक से आ जाना चाहिये था, अभी तक मंडियों में नहीं आई है क्योंकि कमजोर बरसात के कारण फसल प्रभावित हुआ है।
कुछ राज्यों में विशेषकर आंध्र प्रदेश में जल्दी तैयार होने वाली खरीफ प्याज को खेतों से पहले से ही निकाला जा रहा है। इससे आपूर्ति में सुधार होगा और आने वाले दिनों में कीमतों में गिरावट आयेगी।
महाराष्ट्र देश में प्याज का सबसे अग्रणी उत्पादक राज्य है, कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में छोड़कर खरीफ उत्पादन में गिरावट आने की संभावना नहीं है। कर्नाटक में कमजोर बरसात के कारण प्याज का उत्पादन प्रभावित हुआ है।