मोदी सरकार इस बार मानसून सत्र में जीएसटी पर एक राय बनाकर इसे पास कर दिया जाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है। कोलकाता में राज्यों के वित्त मंत्रियों की इस मुद्दे पर केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली के साथ आज बैठक हुई है। इस बैठक में सबने मिलकर जीएसटी पर चर्चा की। बैठक के बाद जेटली ने कहा कि तमिलनाडु को छोड़कर बाकी सारे राज्यों के वित्त मंत्रियों ने या तो जीएसटी का समर्थन किया अथवा इसे स्वीकार किया। तमिलनाडु ने विधेयक को लेकर कुछ चिंताएं जाहिर की हैं।
राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक के बाद जेटली ने कहा, “प्रत्येक राज्य ने जीएसटी पर अपना पूरा नजरिया पेश किया है। एक राज्य तमिलनाडु को छोड़कर प्रत्येक राज्य ने जीएसटी के विचार का समर्थन किया है। तमिलनाडु ने कुछ सुझाव दिए हैं जिन पर गौर किया जाएगा।” इस बिल में कई सुधारों के लिए भी राज्यों ने अपने तर्क दिए हैं जिस पर सरकार विचार कर रही है।
मानसून सत्र में जीएसटी बिल पास कराने के लिहाज से ये बैठक काफी अहम मानी जा रही है। हालांकि इस बैठक में टैक्स दरों को बिल में शामिल करने पर चर्चा नहीं की जाएगी। साथ ही एक फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाने का मुद्दा इस बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं है। बजट सत्र में विपक्ष के विरोध की वजह से जीएसटी बिल एक बार फिर अटक गया था।
इस बैठक में 22 राज्यों के वित्त मंत्रियों ने हिस्सा लिया। दो दिनों 15 जून तक चलने वाली इस बैठक में जीएसटी कानून के मॉडल पर भी चर्चा की जाएगी जिसे आगे चलकर केंद्र और राज्य सरकारें अपनाएंगी।
आपको बता दें कि जीएसटी देश भर में विनिर्माण, वस्तु और सेवाओं की बिक्री एवं उपभोग पर लगने वाला अप्रत्यक्ष कर होगा। यह केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले विभिन्न करों की जगह लेगा। इनपुट टैक्स क्रेडिट पद्घति के आधार पर जीएसटी खरीद एवं बिक्री के प्रत्येक स्तर पर लगाया जाएगा और इससे न केवल विनिर्माण बल्कि एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं की आवाजाही और सुगम हो पाएगी।
सरकार इस बिल को लाने से पहले इसके विरोधों को खत्म करना चाहती है। राज्य और केंद्र के बीच कई मुद्दों को लेकर विवाद है। सरकार इस बैठक के जरिये पहले उन विरोधों को खत्म करना चाहती है। कई राज्य जीएसटी के पक्ष में है तो कई राज्य इस बिल के बाद अपने राज्यों को होने वाले नुकसान को लेकर चिंतित हैं।