अब्दुल फ़हद,
मोदी सरकार ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संविधान संशोधन विधेयक में कुछ प्रमुख बदलावों को बुधवार को मंजूरी दे दी। राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त विनिर्माण कर लगाने संबंधी प्रावधान हटा लिया गया है। इसके साथ ही जीएसटी अमल में आने के पहले पांच साल के दौरान राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई की गारंटी पर भी मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी है। विधेयक में एक प्रतिशत अंतर-राज्यीय कर को समाप्त कर सरकार ने विपक्षी दल कांग्रेस की तीन में से एक प्रमुख मांग को मान लिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिये गए। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक में यह भी प्रावधान किया जायेगा कि जीएसटी लागू होने पर केन्द्र और राज्यों के बीच विवाद की सूरत में जीएसटी परिषद में मामला जायेगा और वही फैसला करेगी। इस परिषद में केन्द्र और राज्य दोनों के प्रतिनिधि होंगे। जीएसटी विधेयक में किये गये इन बदलावों पर राज्यों की सहमति होने और विधेयक में इन संशोधनों पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सरकार को लंबे समय से अटके पड़े जीएसटी विधेयक के राज्यसभा में पारित होने की उम्मीद है।
मंत्रिमंडल ने जिन संशोधन को मंजूर किया है, उसके मुताबिक केन्द्र सरकार राज्यों को संविधान के तहत पहले पांच साल तक राजस्व में यदि नुकसान होता है, तो उसकी भरपाई की गारंटी होगी। विधेयक में एक प्रतिशत अंतर-राज्यीय कर को समाप्त कर सरकार ने विपक्षी दल कांग्रेस की तीन में से एक प्रमुख मांग को मान लिया है।
कांग्रेस के विरोध की वजह से ही जीएसटी विधेयक राज्यसभा में अटका हुआ है। बहरहाल कांग्रेस की दो अन्य प्रमुख मांगों पर कोई पहल नहीं हुई है। कांग्रेस की मांग है कि जीएसटी की अधिकतम दर का संविधान में उल्लेख किया जाये और कर विवाद का निपटारा सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश की अध्यक्षता वाली संस्था करे। कहा जा रहा है कि जीएसटी दर का उल्लेख जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक के बाद आने वाले जीएसटी के दो अन्य विधेयकों में किया जा सकता है।