आनंद रूप द्विवेदी | Navpravah.com
इतिहास की ओर झाँकने पर हमें कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में जानने को मिलता है जिन्हें आज भी सुनकर दिल दहल उठे. ऐसी ही एक घटना इंग्लैंड के थेम्स नदी के किनारे पर 3 सितम्बर 1878 को हुई थी. इंग्लैंड का ‘एस एस प्रिंसेस ऐलिस’ नामक एक जहाज़ थेम्स नदी में डूब गया जिसमें लगभग साढ़े छः सौ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी.
क्या थी घटना:
सितम्बर 3, 1878 को प्रिंसेस एलिस जहाज़ लंदन ब्रिज के पास स्वानपीर से शीर्नेस के बीच यात्रा पर था. ये एक साधारण यात्रा का दिन था. जहाज़ यात्रा का टिकट केवल 2 शिलिंग्स पर ही मिल गया था, जिस कारण सैकड़ों लंदनवासी इस रोमांचक यात्रा का लुत्फ़ उठाने पहुँच गये.
वापसी के दौरान शाम के तकरीबन साढ़े सात बजे, नॉर्थ वूलविच में कुछ यात्रियों को जहाज़ से उतरना था. तभी जहाज के 47 वर्षीय कप्तान आर.एच.ग्रिन्स्टेड ने सामने से आते हुए दूसरे बड़े जहाज़ एस.एस. बाइवेल कैसल को देखा. बाइवेल कैसल एक मालवाहक जहाज था जो अफ्रीका से कोयला इंग्लैंड लाने के काम आता था.
बेशक ‘बाइवेल कैसल’ , ‘प्रिंसेस एलिस’ से काफी ज्यादा बड़ा जहाज़ था. बाइवेल कैसल की कमान अनुभवी जहाज वाहक कैप्टन हैरिसन और उनके थेम्स नदी के कुशल जहाजी सहयोगी के हाथ में थी. इस दिन बाइवेल कैसेल अपने पुराने रूट से प्रस्थान कर रहा था. अचानक प्रिंसेस एलिस जहाज उसके बेहद करीब आ गया. दोनों जहाज़ों ने भरसक नियंत्रण करने की कोशिश की. लेकिन प्रिंसेस एलिस जहाज, बाइवेल कैसल से जा टकराया.
टकराव इतना भयंकर था कि सैकड़ों यात्रियों से भरा हुआ प्रिंसेस एलिस जहाज दो टुकड़ों में बंट गया. इस टकराव से जहाज के परखच्चे उड़ गये. महज़ चार मिनट के भीतर ही जहाज में सवार सैकड़ों लोग थेम्स नदी में डूब गये.
बाइवेल कैसल ने डूबते हुए लोगों को बचाने का हर सम्भव प्रयास किया. लेकिन प्रिंसेस एलिस के भीतर जो लोग फंस हुए थे , उन्हें बचा पाना नामुमकिन हो गया था. उन दिनों थेम्स नदी में भारी मात्रा में इंडस्ट्रियल सीवेज छोड़ा जाता था जिसकी वजह से पानी बेहद प्रदूषित था. माना जाता है कि टूटे हुए जहाज प्रिंसेस एलिस में फंसे हुए लोग उस प्रदूषित पानी में डूबते ही मर गये होंगे.
घटना के हफ़्तों बाद तक लाशें निकाली जाती रहीं. लाशों की पहचान तक कर पाना मुश्किल हो रहा था. सैकड़ों लोगों को एक साथ दफनाया जाने लगा. इस भीषण हृदयविदारक दुर्घटना के बाद तमाम अदालतों में मुकदमे चले. अदालत ने दोनों जहाजों को इस मामले में गलत पाया. पोर्ट के नियमों में तमाम बदलाव हुए, सीवेज सिस्टम पर नियंत्रण किया गया. लेकिन आज भी एस.एस.प्रिंसेस एलिस की इस भयानक दुर्घटना जिसमें 650 लोग मारे गये, इतिहास के पन्नों में उन कुछ दर्दनाक कहानियों में शुमार रखती है जिसे मानव सभ्यता का एक भयावह सच माना जाता रहेगा.