सावधान! कहीं आप न हो जाएँ ‘डिजिटल अरेस्ट’ का शिकार

 

इशिका गुप्ता | navpravah.com

नई दिल्ली | पहली घटना है, कन्या इंटर कॉलेज की शिक्षिका की जो सुबह घर से विद्यालय की ओर निकलने वाली थी। उसे व्हाट्सएप पर एक कॉल आई जिस पर कॉल करने वाले व्यक्ति ने अपनी पहचान राकेश सिंह राठौड़, दरोगा के रूप में कराई और बोला कि वह नोएडा में स्थित हेडक्वार्टर से बात कर रहा है।

उसने आगे बात करते हुए शिक्षिका से पूछा: “क्या आपको बेटी है?” शिक्षिका ने जवाब दिया: “हां है।” उस दरोगा ने शिक्षिका की बेटी की और जानकारी लेनी चाही पर शिक्षिका ने बीच में उसे रोकते हुए कहा कि आप क्या कहना चाहते हैं सीधी बात पर आइए, तब दरोगा ने कहा: “आपकी बेटी का आपत्तिजनक वीडियो पोर्न साइट पर वायरल हुआ है और उसपर एक केस किया गया है।” शिक्षिका को उस कॉलर की बातों से आभास हुआ कि वह झूठ बोल रहा है और यह एक फर्जी कॉल है। यह सोचकर वह कॉल काट दी।

यह फर्जी कॉल की बात सुनकर उसकी बेटी अपनी मां से बोली कि इसकी शिकायत करनी चाहिए और इसके लिए उसकी बेटी ने फिर से उसी नंबर पर कॉल मिलाया।

कॉल उठने पर फिर वही कॉलर से उस शिक्षिका की बेटी ने बात करनी शुरू की। शिक्षिका की बेटी ने उस कॉलर को आभास कराया कि वह उसकी जाल में फंस गई है और रोने व डरने का नाटक करने लगी। उसके बाद दरोगा ने उसे बोला कि मामला रफा दफा हो सकता है अगर वह उसे ₹50,000 दे। दरोगा ने आगे कहा: “मैं जानता हूं तू गरीब घर से है और तू 50,000 अफोर्ड नहीं कर पाएगी और तू समाज में बच नहीं पाएगी मैं जानता हूं ,मैं समझता हूं।” शिक्षिका की बेटी ने आगे नाटक करते हुए बोला कि मैं 50,000 नहीं दे सकती मैं क्या करूं। तब उसे फर्जी दरोगे ने उससे बोला: “तू 10,000 ही दे दे, मैं तुझे इसी नंबर पर बारकोड भेजूंगा और तू इस पर पैसे ट्रांसफर कर दे, इसके बाद मामला मैं दबा दूंगा।” शिक्षिका की बेटी ने उस फर्जी दरोगा से और जानकारी इकट्ठी करनी चाही कि वह कहां से किसका लिंक जोड़कर बात कर रहा है। यह सब सवाल सुनकर उस कॉलर ने उसे कॉल पर ही डराना धमकाना शुरू कर दिया। फिर शिक्षिका की बेटी ने नाटक बंद करते हुए कहा कि मैं तुम्हारी कंप्लेंट टेलीकॉम विभाग पर दूंगी और तुम्हारी असलियत सामने आ जाएगी, यह बोलकर उसने कॉल काट दिया।

दूसरी घटना है, एक रिटायर्ड बैंक कर्मचारी की, उसे भी एक व्हाट्सएप कॉल द्वारा बोला गया कि उसके सभी रजिस्टर्ड नंबर बंद किया जा रहे हैं व उसके आधार कार्ड द्वारा केनरा बैंक में एक खाता खोला गया है जिसमें 6.80 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आया है। कॉल करने वाला अपनी पहचान टेलीकॉम विभाग के कर्मचारी के रूप मे बता रहा था। इस तरह बात करते हुए उसने बैंक कर्मचारी को कई दिनों तक मानसिक तनाव में रखा। कॉलर ने उन्हें बोला की उनके खिलाफ महाराष्ट्र में केस दर्ज किया गया है और इसी तरह डरा धमका कर उनका घर से निकलना बंद करवा दिया था।

कॉलर ने उन्हें आगे कहा: “आपको इस केस से बचना है तो सभी पैसे आरबीआई के खाते में आपको ट्रांसफर करना होगा।”  इस तरह बैंक कर्मचारी ने पहले 3.80 लाख रुपए अपने बैंक खाते से ट्रांसफर करे दूसरी बार 5 लाख व तीसरी बार 21 लाख ,चौथी बार 30 लाख और पांचवी बार 45 लाख और इस तरह लगभग उन्होंने 1 करोड़ 73 लाख 80 हजार रुपए ट्रांसफर किए।

रिटायर्ड बैंक कर्मचारी को जब ठगी का आभास हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। तब उन्होंने थाने में जाकर ठगी की शिकायत दर्ज कराई।

उपर्युक्त कहानियों से यही प्रतीत हुआ कि यह ठगी व्हाट्सएप कॉल के द्वारा एक फर्जी किरदार के रूप में की गई जिस पर कुछ लोग भरोसा जता कर उस जाल में फंस गए और कुछ लोगों ने भरोसा ना करके उस जाल में फंसने से बच गए।

इस स्कैम को “डिजिटल अरेस्ट” का नाम दिया गया है।

क्या होता है डिजिटल गिरफ्तारी (digital arrest)?:

डिजिटल गिरफ्तारी एक नया साइबर अपराध है, जिसमें धोखेबाज़ लोग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को पैसे ठगते हैं। ये अपराधी AI-जनरेटेड आवाज़ों और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल करके लोगों को धोखा देते हैं।

इस घोटाले में लोग घंटों वीडियो कॉल पर रहते हैं, जब तक कि वे अपना सारा पैसा ट्रांसफर नहीं कर देते। लेकिन असल में, कानून में ऐसी कोई “डिजिटल गिरफ्तारी” नहीं होती।

जैसे-जैसे तकनीक में प्रगति हो रही है, वैश्विक स्तर पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए साइबर अपराध एक बड़ा खतरा बन गया है। इसलिए, ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर जागरूकता और सावधानी बेहद जरूरी है।

इस स्कैम से कैसे करें खुद का बचाव ?

1. संदिग्ध कॉल्स से बचें: अनजान नंबरों से आने वाली कॉल्स को नजरअंदाज करें।

2. जानकारी साझा न करें: व्यक्तिगत जानकारी, जैसे बैंक डिटेल्स, किसी को न दें।

3. सत्यापन करें: किसी भी कानून प्रवर्तन अधिकारी की पहचान की पुष्टि करें।

4. वीडियो कॉल्स से सावधान रहें: अनजान लोगों के साथ वीडियो कॉल पर रहने से बचें।

5. AI तकनीकों की जानकारी: AI-जनरेटेड आवाज़ों और टेक्नोलॉजी के बारे में जानें।

6. सुरक्षा सॉफ्टवेयर का उपयोग: अपने उपकरणों में साइबर सुरक्षा सॉफ्टवेयर लगाएं।

7. दो-चरणीय प्रमाणीकरण: अपने ऑनलाइन अकाउंट्स में दो-चरणीय प्रमाणीकरण सक्षम करें।

8. सीधे संपर्क करें: यदि कोई कॉल संदिग्ध लगे, तो सीधे संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसी से संपर्क करें।

9. सोशल मीडिया पर सावधानी: व्यक्तिगत जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करने से बचें।

10. फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन चेक करें: अपने बैंक स्टेटमेंट को नियमित रूप से जांचें।

11. ऑनलाइन शिक्षा: साइबर सुरक्षा के बारे में जानकारी और शिक्षा प्राप्त करें।

12. संदेशों का ध्यान रखें: संदिग्ध टेक्स्ट या ईमेल पर क्लिक न करें।

13. पब्लिक Wi-Fi से सावधान रहें: पब्लिक Wi-Fi पर संवेदनशील जानकारी साझा करने से बचें।

14. नियमित अपडेट्स: अपने सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन को अपडेट रखें।

15. समुदाय में जागरूकता: अपने मित्रों और परिवार को साइबर अपराध के बारे में जागरूक करें।

इन उपायों का पालन करके आप डिजिटल गिरफ्तारी जैसे साइबर अपराधों से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

इन स्कैम्स की शिकायत कैसे की जाए: 

यदि आप डिजिटल गिरफ्तारी या किसी अन्य साइबर अपराध का शिकार हुए हैं, तो शिकायत दर्ज करना बहुत महत्वपूर्ण है। यहां कुछ कदम दिए गए हैं जिनका पालन करके आप सही तरीके से शिकायत कर सकते हैं:

1. जानकारी इकट्ठा करें:

सबसे पहले, अपनी सारी जानकारी इकट्ठा करें। इसमें धोखेबाज का नंबर, कॉल का समय, बातचीत का सारांश और अगर कोई ट्रांजैक्शन हुआ है, तो उसकी पूरी जानकारी शामिल करें। स्क्रीनशॉट्स और अन्य सबूत भी जमा करें।

2. स्थानीय पुलिस स्टेशन:

अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज कराएं। अपनी समस्या को स्पष्ट रूप से बताएं और सभी सबूत पुलिस को दें। यदि संभव हो, तो एक लिखित शिकायत भी तैयार रखें।

3. साइबर क्राइम पोर्टल:

भारत सरकार का राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर जाकर भी आप ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं। यहाँ आपको एक फॉर्म भरना होगा जिसमें सभी आवश्यक जानकारी भरें। यह प्रक्रिया सुविधाजनक और त्वरित है।

 4. बैंक से संपर्क:

यदि आपके पैसे किसी बैंक खाते में ट्रांसफर हुए हैं, तो तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें। उन्हें बताएं कि यह एक धोखाधड़ी का मामला है और लेन-देन को रोकने के लिए कहें।

5. टेलीकॉम कंपनी:

अगर कॉल किसी मोबाइल नंबर से आई थी, तो अपनी टेलीकॉम कंपनी को भी इसकी सूचना दें। उन्हें धोखाधड़ी से संबंधित नंबर की जानकारी दें ताकि वे उचित कार्रवाई कर सकें।

6. सामाजिक जागरूकता:

अपने अनुभव को सोशल मीडिया या स्थानीय समुदाय में साझा करें ताकि अन्य लोग इस तरह के धोखे से सतर्क हो सकें।

शिकायत दर्ज करने में देरी न करें। समय पर कार्रवाई करना न केवल आपके लिए बल्कि दूसरों के लिए भी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

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