देहरादून के पास यमुना पर बहुउद्देश्यीय लखवाड़ परियोजना के निर्माण के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आज उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के मुख्यमंत्रियों के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
समझौता पत्र पर हस्ताक्षर होने के बाद जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने संवाददाताओं से कहा कि, लखवाड़ परियोजना छह राज्यों के बीच शुरू हो रही है और पानी के संदर्भ में इन राज्यों के लिये यह काफी उपयोगी है।
जब जनवरी से मई महीने में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पानी की कमी की समस्या रहती है, ऐसे समय में इस परियोजना से पानी की दिक्कत को दूर करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इससे यमुना की भंडारण क्षमता में 65 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है, उत्तराखंड जब बिजली तैयार करेगा, उस समय उसका पानी यमुना में आयेगा, इससे 2025 साल तक दिल्ली में पानी की समस्या नहीं रहेगी।
गडकरी ने कहा कि इस परियोजना को 1976 में मंजूरी मिली थी और 30 प्रतिशत काम भी हुआ था लेकिन इसके बाद आगे नहीं बढ़ सका, उन्होंने कहा कि राज्यों के बीच सहमति नहीं बनने के कारण अनेक परियोजनाओं को मंजूरी मिलने के बाद भी पूरा नहीं किया जा सका है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिमालय बेसिन में पानी की कमी नहीं है, बल्कि पानी के नियोजन का अभाव है, उन्होंने कहा कि उनका जोर गंगा सहित उसकी सहायक नदियों में साफ सफाई को आगे बढ़ाने का है और इसमें यमुना महत्वपूर्ण है।
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण गडकरी ने ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में 3966.51 करोड़ रुपये की लागत वाली लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, उत्तराखंड के त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरियाणा के मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के जयराम ठाकुर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, परियोजना पर आने वाले कुल 3966.51 करोड़ रुपये की लागत में से बिजली उत्पादन पर होने वाले 1388.28 करोड़ का खर्च उत्तराखंड सरकार वहन करेगी, परियोजना पूरी हो जाने के बाद तैयार बिजली का पूरा फायदा भी उत्तराखंड को ही मिलेगा।