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तमिलनाडु सरकार ने बुधवार रात को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के सभी सात दोषियों को रिहा करने का निर्णय लिया. राज्य के मुख्य सचिव के. ज्ञानादेसिकन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि को पत्र लिखकर इस मामले में केंद्र सरकार की राय मांगी है.
ज्ञानादेसिकन ने पत्र में लिखा है कि राज्य सरकार ने सभी सात दोषियों के आजीवन कारावास की सजा माफ करके उन्हें रिहा करने का फैसला किया है क्योंकि वे पहले ही 24 वर्ष कैद की सजा काट चुके हैं.
ज्ञानदेसिकन ने इस पत्र मेें कहा कि राज्य सरकार ने सभी सात दोषियों नलिनी, ए जी पेरारिवलन उर्फ अरिवु, वी श्रीहरण उर्फ मुरूगन, टी सुरेंद्रराजा उर्फ संथन, जयाकुमार, रॉबर्ट पयस और रविचंद्रन की अपील पर विचार कर उनके आजीवन कारावास की सजा माफ करके उन्हें रिहा करने का फैसला किया है. इनमें से चार श्रीलंकाई नागरिक हैं. उन्होंने बताया कि नलिनी ने अपनी रिहाई के लिए मद्रास हाई कोर्ट में रिट याचिका भी दायर कर रखी है. ज्ञानदेसिकन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2014 को इनमें से तीन लोगों की फांसी की सजा आजीवन कारावास में तब्दील कर दी थी और इनमें से चार पहले से ही आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. राज्य सरकार ने इन सभी सात दोषियों को रिहा करने का निर्णय लिया है परंतु इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो कर रहा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक इसके लिए केंद्र सरकार की राय भी जरूरी है.
गौरतलब है कि श्रीपेरम्बदूर में एक चुनावी रैली के दौरान 21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को निशाना बनाकर किए गए आत्मघाती हमले में राजीव गांधी और 14 अन्य लोगों की मौत हो गई थी. नलिनी को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी जिसे बाद में राजीव गांधी की पत्नी एवं वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की दया याचिका के बाद आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया था.