ShikhaPandey@navpravah.com
मशहूर फिल्म अभिनेता-निर्देशक मनोज कुमार को भारतीय सिनेमा में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए वर्ष 2015 के दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया है. भारत सरकार के इस फैसले पर मनोज कुमार ने कहा, “यह बेहद सुखद व हैरान कर देने वाला अनुभव है. इस खबर को पचाने में मुझे थोड़ा वक्त लगेगा.”
मनोज कुमार ने बताया, ” मैं सो रहा था और मेरे दोस्तों के फोन आने शुरू हो गए. पहले मुझे लगा कि वे मुझसे मजाक कर रहे हैं, लेकिन जब मैंने अपने बारे में एक न्यूज वेबसाइट पर खबर पढ़ी, तब मुझे पता चला कि यह सच है.”
बेहतरीन देशभक्ति फिल्मों के कारण भारत कुमार भी कहे जाने वाले अभिनेता ने कहा, “यह निश्चित रूप से बहुत प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है. मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल किया, मैं उससे संतुष्ट हूं और मेरा परिवार भी इस खबर से बेहद खुश है.”
मनोज कुमार आखिरी बार बड़े परदे पर 1995 की फिल्म ‘मैदान-ए-जंग’ में दिखाई दिए थे. उन्होंने कहा कि अब वे फिल्म उद्योग में और पुनः सक्रिय होने का प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा, “हां, मैं सुर्खियों से गायब था और यह मेरी ही गलती है. मैं एक फिल्म बनाना चाहता हूँ और जल्द ही सक्रिय होना चाहता हूं.”
गौरतलब है कि भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए सरकार द्वारा दिए जाने वाले इस पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये नकद और एक शॉल प्रदान किया जाता है. मनोज कुमार को 47वें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया है. मनोज कुमार ने ‘उपकार’, ‘हरियाली और रास्ता’, ‘वो कौन थी’, ‘हिमालय की गोद में’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ और ‘क्रांति’ जैसी अनेकों फिल्मों से अपने अभिनय की छाप छोड़ी. राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और पद्मश्री से सम्मानित मनोज कुमार ने ‘रोटी कपड़ा और मकान’ सहित पांच से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया है.