प्रमुख संवाददाता,
ढाका में आतंकी हमले के बाद से जांच के घेरे में आए जाकिर नाईक के लिए मुश्किल बढ़ने वाली हैं। बांग्लादेश सरकार ने कहा है कि वो इस्लाम के विवादित प्रचारक जाकिर नाईक के भाषणों की जांच करेगी और फिर जाकिर पर बैन पर फैसला करेगी।
डॉ ज़ाकिर नाईक की संस्था चंदे का इस्तेमाल धार्मिक कट्टरता फैलने में करती है या नहीं, इसकी जांच शुरू हो गयी है। हालाँकि नाईक की संस्था पर इस्लाम को मानने वालों से ज़कात के रूप में पैसे देने को कहा गया है। जांच इसलिए की जा रही है क्योंकि मारे गए आतंकियों के बारे में पता चला कि वो जाकिर नाईक के भाषणों से प्रभावित थे।
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और बीजेपी सांसद सत्यपाल का कहना है कि 2008 में जब वे मुम्बई पुलिस कमिश्नर थे, तब उन्होंने उसकी जांच कर एक रिपोर्ट राज्य सरकार और तत्कालीन भारत सरकार को भी भेजी थी। उन्होंने उस पर कार्रवाई के लिए कहा था, लेकिन उस वक़्त भारत सरकार जाकिर नाईक पर गंभीर नहीं हुई।
गृहमंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि डॉ ज़ाकिर की हवाला के ज़रिये फंडिंग की जाँच के लिए प्रवर्तन निदेशालय से जाँच शुरू करने को कहा गया है। सूत्रों का कहना है कि अगर गड़बड़ी पाई गई तो मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज़ हो सकता है।
गौरतलब है कि जाकिर नाईक की संस्था सामाजिक कामों के नाम पर विदेशी अनुदान के ज़रिये रकम जुटाती रही है। उनकी संस्था में रक़म चेक़, ड्राफ्ट या फिर ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिये दी जा सकती है। जाँच एजेंसियों को शक है की सऊदी अरब के वहाबी संगठनों से इस्लाम की विचारधारा के प्रचार के नाम पर करोड़ों रुपए हवाला के ज़रिये आते हैं।