सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
पिछले मानसून बारिश कम हुई थी। जिसके वजह से अगले कुछ महीनों में देश के कई हिस्सों में जल संकट गहरा सकता है। अभी गर्मी की शुरुआत हुई है और आने वाले महीनों में भयंकर गर्मी पड़ेगी।
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल अक्टूबर 2017 से बारिश की स्थिति संतोषजनक नहीं रही है। हालात ये हैं कि 404 जिलों में सूखे की स्थितियां बन गई हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, 404 जिलों में से 140 जिलों में अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 की अवधि में अत्यंत सूखा करार दिया गया है। 109 जिलों में मामूली सूखा, जबकि 156 जिलों में हल्के सूखे की स्थितियां बताई गईं हैं।
स्टैंडर्ड प्रीसिपीटेशन इंडेक्स (SPI) से मौसम विभाग सूखे की स्थिति को आंकता है, इसे बारिश और सूखा मांपने के लिए +2 और -2 के दो पैमानों का इस्तेमाल होता है। यहां 2 और उससे ज्यादा के स्केल पर चरम नमी को दर्शाता है।
वहीं, -2 का स्केल बेहद सूखे की स्थिति को दर्शाता है। अन्य स्थितियों में इनके बीच की सीमाओं को दर्शाती है। इसे गंभीर रूप से गीले से लेकर गंभीर सूखे तक शामिल है। एसपीआई (SPI) को दुनिया भर में बारिश मांपने के लिए एक सटीक उपाय माना गया है।
हर साल गर्मी के दौरान देश के कई हिस्सों में पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। सर्दियों में होने वाली बारिश में कमी इस साल और खराब स्थिति का सबसे बड़ा कारण है। आईएमडी डेटा के अनुसार, इस साल जनवरी और फरवरी में पूरे भारत में 63% कम बारिश हुई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार। जनवरी से मार्च के बीच लिए गए एसपीआई आंकड़ों में यह दर्शाया गया है कि 472 जिलों में सूखे से ग्रस्त हैं। वहीं, इनमें से 153 जिलों में भीषण सूखे की स्थिति है।
ज्यादातर सूखे की स्थिति वाले जिलों में अधिकांश उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत में हैं। साथ ही पूर्व में बिहार और झारखंड जैसे कुछ स्थानों में भी सूखे की स्थिति है।