अमित द्विवेदी । Navpravah.com
बाबरी विध्वंश मामले में सुप्रीम कोर्ट 22 मार्च को अपना फैसला सुनाएगा। सीबीआई और हाजी महबूब अहमद की याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की खंडपीठ ने यह तारीख निश्चित की है। इस याचिका के जरिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आरोपियों के ट्रायल में हो रही देरी को लेकर चिंता जताई है।
मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया तेज़ हो, इसके लिए आरोपियों का संयुक्त ट्रेल भी कराया जा सकता है। गौरतलब है कि इस मामले में आरोपी रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह और मुरली मनोहर जोशी सहित अन्य को दोषमुक्त पाया गया था। इस मामले में यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलता है तो इन सभी नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
सीबीआई ने हाई कोर्ट के 21 मई 2010 को सुनाए फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायालय ने नेताओं के खिलाफ आरोप हटाने के विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सीबीआई की विशेष अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें आडवाणी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार और मुरली मनोहर जोशी के ऊपर लगे षड़यंत्र रचने के आरोपों को हटा दिया गया था।
इनके अलावा सतीश प्रधान, सी आर बंसल, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, साध्वी रितम्भरा, वी एच डालमिया, महंत वैद्यनाथ, आर वी वेदांती, परम हंस राम चंद्र दास, जगदीश मुनि महाराज, बी एल शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धरम दास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे के खिलाफ भी आरोप हटाए गए थे।