गर्भ में बच्चा अपुष्ट और दिव्यांग हो तो भी नहीं करा सकते अबॉर्शन -सुप्रीम कोर्ट

शिखा पाण्डेय | Navpravah.com

यदि गर्भ में ही बच्चे के अपुष्ट व दिव्यांग होने, या किसी बड़ी बीमारी से ग्रसित होने की बात पता चलने पर आप गर्भपात करना चाहें, तो कानूनन आपके लिए यह संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में मंगलवार को एक महिला को 26 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन कराने की इजाजत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा,”हमारे हाथों में एक जिंदगी है। हम उसे खत्म करने की इजाजत कैसे दे सकते हैं!”

दरअसल महिला के गर्भ में पल रहे शिशु को ‘डाउन सिंड्रोम’ है, जिसकी वजह से आम तौर पर बच्चों में मेंटली और फिजिकली कुछ दिक्कतें होती हैं। ये बच्चे दिमाग से कमज़ोर होते हैं। इन बच्चों की त्वचा बहुत रूखी होती है। आंखें ऊपर उठी हुई होती हैं या उनमें तिरछापन होता है। पलकें छोटी, चौड़ी और कान छोटे होते हैं। नाक छोटी और चपटी होती है। मुंह ज्यादातर खुला रहता है। उंगलियां भी मोटी होती हैं। हाथ के अंगूठे और तर्जनी के बीच बहुत अंतर होता है। भविष्य में इस बच्चे को व माता-पिता को तमाम तकलीफों से जूझना न पड़े, इसी आधार पर महिला ने अबॉर्शन की इजाजत मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने उसकी पिटीशन खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेग्नेंसी की हालत में 37 साल की इस मां को फिजिकली कोई खतरा नहीं है। जस्टिस एसए बोबडे और एलएन राव की बेंच ने कहा, “हालांकि सब जानते हैं कि डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे बेशक कम इंटेलिजेंट होते हैं,लेकिन बढ़िया होते हैं। मुमकिन है कि बच्चे में फिजिकली या मेंटली प्रॉब्लम्स हों,लेकिन डॉक्टरों की सलाह अबॉर्शन कराने की इजाजत नहीं देती।” बोर्ड ने कहा, “इस रिपोर्ट के साथ,हम गर्भपात की अनुमति नहीं दे सकते। एक जिंदगी हमारे हाथों में हैं।” आपको बता दें कि देश में 20 हफ्ते के बाद अबॉर्शन कराना गैरकानूनी है। ऐसा करने पर 7 साल की सजा हो सकती है।

गौरतलब है कि इससे पहले ऐसे ही एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने अबॉर्शन की इजाजत दी थी। कोर्ट ने पिछले ही महीने ऐसे एक केस में एक महिला को 24 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन की इजाजत दी थी। वह फैसला भी जस्टिस एसए बोबडे और एलएन राव की बेंच ने दिया था। महिला की मेडिकल रिपोर्ट से पता चला था कि होने वाले बच्चे का सिर पूरी तरह डेवलप नहीं हो पाया है और उसका बचना मुश्किल है। बेंच ने ऑर्डर दिए थे कि अबॉर्शन की प्रोसेस के लिए केईएम हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की टीम इसका पूरा रिकॉर्ड रखे।

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