शिखा पांडेय,
आज मोदी सरकार ने 13 और ऐसे शहरों के नामों की घोषणा की है, जिन्हें केंद्र के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत विकसित किया जाएगा। इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश का लखनऊ, तेलंगाना का वारंगल तथा हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला शामिल हैं।
चुने गए शहरों में चंडीगढ़, रायपुर (छत्तीसगढ़), न्यू टाउन कोलकाता, भागलपुर (बिहार), पणजी (गोवा), पोर्ट ब्लेयर (अंडमान निकोबार द्वीपसमूह), इंफाल (मणिपुर), रांची (झारखंड), अगरतला (त्रिपुरा) और फरीदाबाद (हरियाणा) शामिल हैं।
गौरतलब है कि ‘‘फास्ट ट्रैक कंपीटिशन’’ में 23 शहरों ने भाग लिया था। शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने इस प्रतिस्पर्धा की आज घोषणा की। इन 23 शहरों में सिर्फ 13 शहर ही प्रतिस्पर्धा में सफल हो सके। ये शहर उन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से थे जिन्हें पहले चरण में प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका था।
नायडू ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘‘फास्ट ट्रैक कंपीटिशन’’ में चुने गए 13 शहरों ने कुल 30,229 करोड़ रूप के निवेश का प्रस्ताव दिया है। इसके साथ ही, 33 शहरों में स्मार्ट सिटी योजना के तहत प्रस्तावित निवेश अब 80,789 करोड़ रूपए हो गया है।
नायडू ने कहा कि सात राजधानी शहर जो प्रतिस्पर्धा के लिए 100 शहरों की लिस्ट में शामिल नहीं किए गए थे, वे अन्य शहरों के साथ अगले चरण में शामिल हो सकेंगे। इन शहरों में बिहार की राजधानी पटना, हिमाचल की राजधानी शिमला, छत्तीसगढ़ की राजधानी नया रायपुर, अरूणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर, आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती, कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू और केरल की राजधानी तिरूवनंतपुरम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में मेरठ और राय बरेली में से एक तथा जम्मू और श्रीनगर में से एक का मिशन के तहत मूल्यांकन किया जाएगा।
जो दस शहर इस प्रतिस्पर्धा में सफल नहीं हो सके वे हैं- पासीघाट (अरूणाचल प्रदेश), शिलांग (मेघालय), नामची (सिक्किम), दीव (दमन एवं दीव), औलगरेट (पुडुचेरी) सिलवासा (दादरा एवं नगर हवेली), कोहिमा (नगालैंड), एजल (मिजोरम), कवरत्ती (लक्षद्वीप) और देहरादून (उत्तराखंड) शामिल हैं। ये नगर अगले चरण में अन्य शहरों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।
गौरतलब है कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत देश भर के 100 शहरों को 2019-20 तक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा और केंद्र सरकार अगले पांच साल में 48,000 करोड़ रूपए का वित्तीय समर्थन मुहैया कराएगी। प्रतिस्पर्धा के विभिन्न चरणों में चुने गए प्रत्येक शहर को पहले वर्ष 200 करोड़ रूपए की केंद्रीय मदद मिलेगी, जबकि बाद के तीन वित्त वर्षों में हर साल 100 करोड रूपए मिलेंगे। स्मार्ट सिटी परियोजना में बेहतर सार्वजनिक परिवहन, आईटी कनेक्टिविटी, ई.गवर्नेंस और नागरिक हिस्सेदारी के अलावा बिजली एवं पानी की लगातार आपूर्ति, साफ सफाई और ठोस कचरा प्रबंधन प्रणाली आदि प्रमुख हैं।