शिखा पाण्डेय | Navpravah.com
आप यदि अक्सर रेस्टॉरंट्स में खाने जाते रहते हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। आपके बिल में ऐड होने वाला कंपल्सरी सर्विस चार्ज अब आपकी मर्ज़ी के बगैर नहीं लिया जा सकेगा। कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्टर रामविलास पासवान ने कहा है कि होटेल और रेस्टॉरंट्स में सर्विस चार्ज देना जरूरी नहीं है। यह पूरी तरह से कस्टमर की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह इसे दे या नहीं। इसलिए हॉटेल्स यह तय नहीं कर सकते हैं कि वह कितना पैसा सर्विस चार्ज के रूप में लेंगे। सरकार ने आज इस बारे में गाइडलाइन को मंजूरी दे दी है।
इस विषय में कंज्यूमर अफेयर मिनिस्टर रामविलास पासवान ने कहा, “अब सर्विस चार्ज नहीं लगेगा। इसे गलत चार्ज किया जा रहा है। हमने इस पर एक एडवायजरी तैयार की है। इसे अप्रूवल के लिए पीएमओ को भेजा गया है।” पासवान ने कहा, “सरकार ने सर्विस चार्ज पर तैयार गाइडलाइन को मंजूरी दे दी है। सर्विस चार्ज देना है या नहीं ये हॉटेल्स और रेस्टॉरंट्स तय नहीं करेंगे, बल्कि कस्टमर तय करेगा।”
गाइडलाइन के मुताबिक, बिल में सर्विस चार्ज का कॉलम कस्टमर के लिए खाली छोड़ना होगा। वो फाइनल पेमेंट के वक्त इसे भरेगा। अगर सर्विस चार्ज देना जरूरी किया गया तो कस्टमर्स कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
कंज्यूमर अफेयर मिनिस्ट्री के एक सीनियर ऑशियल के मुताबिक, “मौजूदा कंज्यूमर प्रोटेक्शन लॉ के तहत इसमें बड़ा जुर्माना लगाने या कड़ी कार्रवाई करने का मिनिस्ट्री को पावर नहीं है। हालांकि, नए कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल में उसे यह पावर दिया जाएगा।”
हॉटेल्स एंड रेस्टॉरंट्स एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया के प्रेसिडेंट दिलीप दतवानी ने कहा, “सर्विस चार्ज दुनियाभर में लगता है और यह भारत में करीब 50 सालों से लगाया जाता रहा है। यह चार्ज ढका-छुपा तो है नहीं। मेन्यु में इसका साफ-साफ जिक्र किया जाता है। फूड आउटलेट पर आने वाला कस्टमर अच्छी तरह जानता है कि उसे सर्विस चार्ज देना होगा। सिर्फ हॉस्पिटैलिटी में ही नहीं, बल्कि कई बिजनेस हैं, जिनमें ऐसे चार्ज लगाए जाते हैं। मुझे समझ नहीं आ रहे कि अकेले हमें ही क्यों इससे बाहर किया जा रहा है।”
उल्लेखनीय है कि कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के मुताबिक, अगर किसी कंज्यूमर को गलत तरीके से सर्विस के बदले पैसा देने के लिए मजबूर किया जाता है तो वह इसकी शिकायत कंज्यूमर फोरम से कर सकता है। कंज्यूमर अफेयर मिनिस्ट्री को लोगों की तरफ से कई शिकायतें मिली थीं कि हॉटेल्स और रेस्टॉरंट्स में टिप के नाम पर 5 से 10% तक सर्विस चार्ज वसूला जा रहा है। कई हॉटेल्स और रेस्टोरेंट्स में सर्विस बेहतर ना होने के बावजूद कस्टमर्स को यह चार्ज देना पड़ रहा है, जिसके चलते सरकार को यह फैसला लेना पड़ा है।