राष्ट्रगान पर पाबंदी लगाने वाले एम ए कान्वेन्ट स्कूल पर लगा ताला

शिखा पाण्डेय,

इलाहाबाद के एम ए कान्वेन्ट स्कूल स्कूल में राष्ट्रगान गाने पर पाबंदी के मामले का खुलासा होते ही प्रशासन हरकत में आ गया है। स्कूल की प्रिंसिपल सहित आठ अध्यापकों ने स्कूल में राष्ट्रगान गाने की पाबंदी लगा देने पर इस्तीफ़ा दे दिया है। प्रशासन ने मामले की जांच कराई तो पता चला कि यह स्कूल बिना मान्यता के ही चल रहा था, जिसके बाद स्कूल पर ताला जड़ दिया गया है।

इस्तीफा देने वाले टीचर्स का कहना है कि राष्ट्रगान गाना उन्हें संविधान से दिया गया मूल अधिकार है लेकिन स्कूल प्रबंधन ने जब उन्हें इसे गाने पर आपत्ति जाहिर की तो उन्होंने स्कूल छोड़ दिया है। हालांकि, अपनी सफाई में स्कूल के मैनेजर ने कहा था कि राष्ट्रगान में ‘भारत भाग्य विधाता’ के  ‘भारत’ शब्द से उन्हें आपत्ति है और जब तक राष्ट्रगान में इस पंक्ति में भारत नहीं हटाया जाता वह स्कूल में राष्ट्रगान गाने नहीं देंगे।

मामला प्रशासन के पास पहुँचने के बाद प्रशासन ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं। उसका कहना कि जांच के बाद स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

आप सभी को सुनकर अवश्य आश्चर्य होगा कि इस स्कूल की स्थापना के बाद पिछले 12 साल से कभी राष्ट्रगान नहीं गाया गया। एम ए कान्वेन्ट स्कूल की स्थापना के साथ ही इसमें यह नियम लागू कर दिया गया था कि यहां राष्ट्रगान नहीं गाया जाएगा, जो आज तक लागू है। लंबे समय से  इस तुगलकी फरमान के साये में जी रहीं इस स्कूल की प्रिंसिपल और उसके साथ की आठ अध्यापिकाओं ने जब इसके खिलाफ आवाज उठाई तो प्रबंधन ने उन्हें स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यहां प्रोग्राम होना था। टीचिंग स्टाफ ने कहा कि नेशनल एंथम होना है। इस पर स्कूल प्रबंधकों ने कहा कि नेशनल एंथम आज तक हमारे यहां नहीं हुआ और अब भी नहीं होगा। कारण पूछा गया तो कहा कि उसमें एक लाइन आती है, ‘भारत भाग्य विधाता’ जो हमारे धर्म के खिलाफ है। भारत हमारे भाग्य का विधाता कैसे हो सकता है?हमारे भाग्य का विधाता सिर्फ अल्लाह है। टीचर्स ने बाताया,” हमें तो एक साल हुआ है यहां, लेकिन 12 साल से किसी ने कोई आवाज़ नहीं उठाई। बच्चों से पूछिये नेशनल एंथम क्या होता है, उन्हें पता ही नहीं है, गार्जियन को भी चुप करा दिया जाता है।”

मामला सामने आने के बाद जब सवाल उठा कि जिला प्रशासन के कार्यालय से महज एक किलोमीटर के दायरे में स्थित इस स्कूल की मान्यता की जांच कभी प्रशासन ने क्यों नहीं की, तो इसका जवाब प्रशासन के पास नहीं है। जिला प्रशासन का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।  फिलहाल प्रारम्भिक जांच में यह बात सामने आई है कि नर्सरी से आठवीं तक चल रहे इस स्कूल को सरकार से कोई मान्यता ही नहीं प्राप्त है।

 

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