दूरदर्शन के पत्रकार का दावा, नोट बंदी के दिन प्रधानमंत्री का ‘राष्ट्र के नाम सन्देश’ नहीं था लाइव!

शिखा पाण्डेय,

नोट बंदी पर उठ रहे तमाम विवादों के बीच अब एक नया विवाद सामने आया है। दूरदर्शन के पत्रकार सत्येंद्र मुरली ने दावा किया है कि 8 नवंबर, रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘नोटबंदी पर राष्ट्र के नाम संबोधन’ का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण नहीं था, बल्कि वो पहले से रिकॉर्डेड था। मुरली ने गुरुवार (24 नवंबर) को नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में इस बात का दावा किया।

जानें पूरा मामला-

सत्येंद्र मुरली ने इस बाबत सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय से जानकारी मांगी थी। पीएमओ ने जवाब के लिए उनकी आरटीआई को आर्थिक मामलों के विभाग और सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास भेज दी। पीएमओ द्वारा खुद जवाब न दिए जाने को टालमटोल बताते हुए उन्होंने प्रेस वार्ता करके दावा किया कि पीएम मोदी का भाषण लाइव नहीं था,जबकि मोदी के अनुसार नोटबंदी का फैसला अतिगोपनीय था और पीएम द्वारा इसकी घोषणा किए जाने से पहले केवल चंद लोगों को इसके बारे में पता था।

मुरली की तरफ से जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ”मैं बतौर दूरदर्शन समाचार में कार्यरत पत्रकार सत्येन्द्र मुरली जिम्मेदारीपूर्वक दावा कर रहा हूं कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ लाइव नहीं था, बल्कि पूर्व रिकॉर्डेड और एडिट किया हुआ था। 8 नवंबर 2016 को शाम 6 बजे आरबीआई का प्रस्ताव और शाम 7 बजे कैबिनेट को ब्रीफ किए जाने से कई दिनों पहले ही पीएम का ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ लिखा जा चुका था। इतना ही नहीं, मोदी ने इस भाषण को पढ़कर पहले ही रिकॉर्ड करवा लिया था।”

उन्होंने दावा किया,” 8 नवंबर 2016 को शाम 6 बजे आरबीआई से प्रस्ताव मंगवा लेने के बाद शाम 7 बजे मात्र दिखावे के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई गई, जिसे मोदी ने ब्रीफ किया। किसी मसले को ब्रीफ करना और उस पर गहन चर्चा करना, दोनों में स्पष्ट अंतर होता है। मोदी ने कैबिनेट बैठक में बिना किसी से चर्चा किए ही अपना एकतरफा निर्णय सुना दिया।” उन्होंने प्रश्न उठाया,” ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा THE GOVERNMENT OF INDIA (TRANSACTION OF BUSINESS) RULES, 1961 एवं RBI Act 1934 का अनुपालना किस प्रकार किया गया होगा? क्या इस मामले में राष्ट्रपति महोदय को सूचना दी गई?”

प्रेस विज्ञप्ति में मुरली ने बताया है, ”इस बारे में RTI के जरिए सवाल पूछे जाने पर (PMOIN/R/2016/53416), प्रधानमंत्री कार्यालय ने जवाब देने की जगह टालमटोल कर दिया और आवेदन को आर्थिक मामलों के विभाग और सूचना और प्रसारण मंत्रालय को भेज दिया। RTI ट्रांसफर का नंबर है – DOEAF/R/2016/80904 तथा MOIAB/R/2016/80180। यह रिकॉर्डिंग पीएमओ में हुई थी, लिहाजा इस बारे में जवाब देने का दायित्व पीएमओ का है।”

अभी तक बीजेपी की तरफ से मुरली के आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। साथ ही किसी भी प्रमुख मीडिया संस्थान ने सत्येंद्र मुरली के आरोपों को जगह नहीं दी, हालांकि कुछ स्वतंत्र न्यूज वेबसाइटों ने इस खबर को प्रमुखता के साथ छापा है। अगर मुरली का दावा सच निकला तो पीएम के गोपनीयता के दावों पर गंभीर सवाल खड़े हो जाएंगे।

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