छात्रों और अभिवावकों से PM मोदी ने की परीक्षा पे चर्चा, दिए ये टिप्स

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में आयोजित ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में देश भर के छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों को नए साल 2020 की शुभकामनाएं दी।

पीएम मोदी ने कहा कि 2020 सिर्फ नया वर्ष नहीं है, बल्कि ये नया दशक भी है। ये दशक आपके लिए जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही देश के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस दशक में देश जो भी करेगा। उसमें इस समय 10वीं, 12वीं के जो छात्र हैं, उनका बहुत योगदान रहेगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई मुझे कहे कि इतने कार्यक्रमों के बीच वो कौन सा कार्यक्रम है जो आपके दिल के सबसे करीब है, तो मैं कहूंगा वो कार्यक्रम है परीक्षा पे चर्चा। मुझे इस कार्यक्रम में बहुत आनंद की अनुभूति होती है। युवा मन क्या सोचता है, क्या करना चाहता है, ये सब मैं भली-भांति समझ पाता हूं। उन्होंने कहा कि जैसे आपके माता-पिता के मन में 10वीं, 12वीं को लेकर टेंशन रहती है, तो मुझे लगा आपके माता-पिता का भी बोझ मुझे हल्का करना चाहिए। मैं भी आपके परिवार का सदस्य हूं, तो मैंने समझा कि मैं भी सामूहिक रूप से ये जिम्मेदारी निभाऊं।

चंद्रयान-2 बारे में की बात

प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान-2 की विफलता का जिक्र करते हुए कहा कि विफलता दिखाती है कि आप सफलता की ओर बढ़ गए है। इसी के साथ प्रधानमंत्री ने चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के समय इसरो मुख्यालय में बिताए अपने अनुभव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैं वहां मौजूद था। मुझे कुछ लोगों ने कहा कि मुझे वहां नहीं जाना चाहिए, क्योंकि मिशन की सफलता की कोई गारंटी नहीं है। तब मैंने उनसे कहा कि इसलिए मैं वहां गया था। मैं कुछ वैज्ञानिकों के साथ वहां बैठा, उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने कहा कि मोटिवेशन और डिमोटिवेशन का सवाल है, जीवन में कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे ऐसे दौर से न गुजरना पड़ता हो। चंद्रयान को भेजने में आपका कोई योगदान नहीं था, लेकिन आप ऐसे मन लगाकर बैठे होंगे कि जैसे आपने ही ये किया हो। जब सफलता नहीं मिली तो आप भी डिमोटिवेट हुए। उन्होंने कहा कि हम विफलताओं मैं भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं। हर प्रयास में हम उत्साह भर सकते हैं और किसी चीज में आप विफल हो गए तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हो।

परीक्षाओं में आने वाले अंक ही नहीं जिन्दगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जाने अनजाने में हम लोग उस दिशा में चल पड़े हैं जिसमें सफलता -विफलता का मुख्य बिंदु कुछ विशेष परीक्षाओं के मार्क्स बन गए हैं। उसके कारण मन भी उस बात पर रहता है कि बाकी सब बाद में करूंगा, एक बार मार्क्स ले आऊं। उन्होंने कहा कि आज संभावनाएं बहुत बढ़ गई हैं। सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं हैं। कोई एक परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है। ये एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। लेकिन यही सब कुछ है, ऐसा नहीं मानना चाहिए। मैं माता-पिता से भी आग्रह करूंगा कि बच्चों से ऐसी बातें न करें कि परीक्षा ही सब कुछ है।

हैशटैग विदआउट फिल्टर

जो बात आपके माता-पिता और अध्यापक करते हैं, वही बात मैं करता हूं और अलग तरीके से आपका दोस्त और साथी बनकर करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरे और आपके बीच की ये बातचीत हैशटैग विदआउट फिल्टर है। यानी कि खुलकर बातें होनी चाहिए। दोस्त की तरह बातें करेंगे, तो गलती हो सकता है आपसे भी और मुझसे भी। मुझसे हुई तो टीवी वालों को मजा आएगा। क्या कभी हमने सोचा है कि मूड ऑफ क्यों होता है? अपने कारण से या बाहर के किसी कारण से। अधिकतर आपने देखा होगा कि जब मूड ऑफ होता है, तो उसका कारण ज्यादातर बाह्य होते हैं।

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