जयललिता के वफादार मंत्रियों की ओर से यह सारी कवायद इसलिए की जा रही है ताकि ‘अम्मा’ की ‘आंखों के सामने’ शासन की पूरी कार्यवाही चले और लोगों तक यह सन्देश जाए कि राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता के आदेश पर सबकुछ हो रहा है।
दरअसल राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा रिव्यू मीटिंग की तस्वीरें जारी की गई हैं, जिसमें इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि तस्वीर के साथ यह कैप्शन जरूर जाए कि सब कुछ “मुख्यमंत्री के आदेश” पर हो रहा है। हालांकि विभाग की ओर से ये नहीं बताया गया है कि बीमार जयललिता ने किस तरह से यह आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि जयललिता को बुखार और डिहायड्रेशन की शिकायत के बाद 22 सितंबर को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अपोलो अस्पताल की ओर से जारी कई हेल्थ बुलेटिन में बताया गया कि सीएम के फेफड़ों में इन्फेक्शन का इलाज चल रहा है और वह सतत निगरानी में हैं।अस्पताल ने बताया कि चिकित्सकों का एक पैनल मुख्यमंत्री पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। जयललिता के इलाज के लिए लंदन से भी डॉक्टर को बुलाया गया था। हाल ही में एम्स अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम भी अपोलो अस्पताल गई थी। अपोलो प्रशासन की ओर से कहा गया था कि जयललिता के स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा है।
जयललिता की अनुपस्थिति में राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माने जाने वाले इस राज्य में उनकी सेहत को लेकर अटकलबाजी जारी है। मामला इतना संवेदनशील है कि प्रेस रिलीज तक बेहद सोच समझ कर जारी की जा रही है। जयललिता के अस्पताल में रहने के दौरान कई ऐसी प्रेस रिलीज जारी हुईं, जिनमें बताया गया कि कावेरी जल विवाद को लेकर सीएम ने अस्पताल में ही बैठकें कीं। हालांकि, मंत्रियों ने जो समीक्षा बैठकें की हैं, उनके बारे में कोई बयान जारी नहीं किया गया है।
बीते मंगलवार को जयललिता के सभी विभाग राज्य के वित्त मंत्री ओ. पनीरसेल्वम को सौंप दिए गए। इसके बाद से पनीरसेल्वम समीक्षा बैठकें भी कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों को इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कोई हैरानी नहीं है। उनके मुताबिक, यह समझना मुश्किल नहीं है कि राज्य सरकार की ये बैठकें आखिर क्यों ‘सीएम के आदेश’ पर हो रही हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि जो कुछ भी हो रहा है, वह शायद पार्टी सुप्रीमो की सहमति से ही हो रहा हो।