भारतीय रेल को तीन गुना हल्की ‘स्वदेशी’ बोगियाँ देंगी और अधिक सरपट गति

एनपी न्यूज़ डेस्क| Navpravah.com
पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा शुरू किए गए मिशन ‘रफ़्तार’ के तहत केंद्र सरकार ने एक अहम् फैसला लिया है। ट्रेनों को और अच्छी गति देने के लिए सरकार द्वारा स्टील की बजाय एल्युमिनियम की बोगियाँ बनाने का निर्णय लिया गया है।
इन कोचेस की खास बात यह होगी कि ये कोच विदेशों से आयात नहीं किए जाएँगे, बल्कि चेन्नई स्थित ‘इंटीग्रल  कोच फैक्‍ट्री (आईसीएफ)’ में बनाए जाएंगे। आईसीएफ ने शुक्रवार को इस प्रोजेक्‍ट का टेंडर जारी कर दिया है।
इस प्रोजेक्ट के तहत 2750 करोड़ रुपए की लागत से एल्‍युमीनियम कार बॉडी ट्रेन-सेट्स तैयार किए जाएंगे। यह प्रोजेक्‍ट लगभग चार साल में पूरा होगा। प्रोजेक्ट के तहत एल्‍युमीनियम कार बॉडी ट्रेनसेट्स की डिजाइन, डेवलपमेंट, मैन्‍युफैक्‍चरिंग, टेस्टिंग एवं कमीशनिंग का काम किया जाएगा। टेंडर 27 अक्‍टूबर को खोला जाएगा। इससे पहले 3 अक्‍टूबर को प्री-बिड मीटिंग बुलाई गई है।
दरअसल, केंद्र सरकार मेल पैसेंजर और एक्‍सप्रेस ट्रेन की औसत स्‍पीड 65 किलोमीटर से बढ़ाकर 100 किलोमीटर प्रति घंटा करना चाहती है। साथ ही इससे तेज चलने वाली गाड़ि‍यों की स्‍पीड भी बढ़ाना सरकार का उद्देश्य है। इसका दूसरा मकसद है एनर्जी एफिशिएंसी। आईसीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि अभी ट्रेन कोच स्‍टील के होते हैं, लेकिन एल्‍युमीनियम के कोच काफी हल्‍के होंगे, जिसके कारण एनर्जी की काफी बचत होगी। इससे रेलवे के ऑपरेटिंग कॉस्‍ट पर असर पड़ेगा।
आईसीएफ के अधिकारी ने बताया कि जो कंपनी टेंडर हासिल करेगी, वह सबसे पहले डिजाइन बनाएगी, जिसके बाद ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है, कि ट्रेन के वजन में कितनी कमी आएगी। वैसे अनुमान लगाया जा रहा है कि कन्‍वेंशनल इंडियन कोच का वजन लगभग 51 टन है और नई ट्रेन का वजन 17 या 18 टन होगा। अभी स्पेन की टेल्‍गो ट्रेन का वजन 17 टन है। आईसीएफ की कोशिश रहेगी कि नई ट्रेन का वजन भी इसके आसपास रहे।
रेलवे के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि रेलवे चाहता है कि दिल्‍ली- अमृतसर, दिल्‍ली–जयपुर, दिल्‍ली-लखनऊ, बंगलुरु-चैन्‍नई जैसे कुछ छोटे रूट्स पर इस तरह की ट्रेन चलाई जाएं। इससे समय की बचत होगी और ट्रेनों के फेरे बढ़ जाएंगे। इससे रेलवे के रेवेन्‍यू में भी बढ़ोतरी होगी। साथ ही ट्रैक की मरम्‍मत का भी समय मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि सुरेश प्रभु द्वारा शुरू किए गाए इस रफ़्तार प्रोजेक्ट में पैसेंजर के साथ फ्रेट सर्विसेज की रफ्तार बढ़ाने का टारगेट रखा गया था।

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