सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
Allahabad
भारत में उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला लीला सेठ का निधन शुक्रवार रात 10 बजे हो गया। जाने-माने लेखक विक्रम सेठ की मां लीला सेठ ने 86 वर्ष की आयु में नोएडा में अंतिम सांसें लीं।
महिलाओं के साथ भेद-भाव के मामले, संयुक्त परिवार मे लड़की को पिता की संपति में बराबर की हिस्सेदारी बनाने और पुलिस हिरासत मे हुई राजन पिलाई की मौत की जांच जैसे मामलो मे उनकी महतवपूर्ण भूमिका रही है।
लखनऊ में वर्ष 1930 में जन्मीं लीला सेठ भारत की पहली महिला थीं, जिन्होंने 1958 में लंदन बार की परीक्षा पास की थी। बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में लीला सेठ ने बताया था कि वो बचपन में नन बनना चाहती थीं लेकिन पिता राज बिहारी सेठ की मौत के बाद उनका जीवन अचानक बदल गया था।
लीला सेठ ने बताया था कि उनके पिता उन्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे और कहते थे कि वो उनकी शादी में दहेज बिल्कुल नहीं देंगे। लीला सेठ का कहना था कि क़ानून की पढ़ाई करना उनकी किस्मत में लिखा था और पढ़ाई के लिए बहुत कम समय मिलने के बावजूद उन्होंने लंदन बार की परीक्षा में टॉप किया, जुलाई 1978 में लीला सेठ को न्यायाधीश की शपथ दिलाई गई और अगले ही वर्ष दिल्ली हाईकोर्ट में नियुक्त किया गया। इसके साथ ही वे भारत में किसी हाईकोर्ट में पहली महिला न्यायाधीश बनीं।
कालांतर में पदोन्नति मिलने पर लीला सेठ को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायायल का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। ये साल 1992 की बात है और तब ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी महिला को किसी उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश बनने का अवसर मिला। वे साल 2012 में बनाई गई जस्टिस वर्मा समिति की भी सदस्य थीं, जिसे दिल्ली के निर्भया बलात्कार कांड के बाद कानून में बदलाव संबंधी सुझाव देने के लिए गठित किया गया था।