प्रमुख संवाददाता,
बंबई उच्च न्यायालय ने सीबीएफसी को 48 घंटे के भीतर फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ को सिर्फ एक कट के साथ निर्धारित तारीख पर रिलीज करने के लिए प्रमाण पत्र देने का आदेश दे दिया है। अदालत ने फिल्म में पेशाब करने का एक दृश्य हटाने और संशोधित घोषणा दिखाने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति शालिनी फंसाल्कर जोशी की पीठ ने कठोर शब्दों में आदेश दिया, “दादी मां की तरह काम नहीं करें। आज के समय के अनुसार बदलें। सीबीएफसी को कला के मामले में अति संवेदनशील होने की आवश्यकता नहीं है। सीबीएफसी रचनात्मक लोगों को अचानक से रोक नहीं सकती, क्योंकि यह उन्हें हतोत्साहित कर सकता है।” खंडपीठ ने सीबीएफसी को निर्देश दिया कि नशे पर आधारित फिल्म का 48 घंटे के अंदर प्रमाणन करे, ताकि निर्माता इसे तय समय 17 जून पर रिलीज कर सकें।
न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा, “आम बोलचाल में सेंसर का मतलब फिल्म का प्रमाणन करने से है। इसलिए अगर कानून के जरिए बोर्ड को बदलाव, कट या हटाने की शक्ति है तो सीबीएफसी की यह शक्ति संविधान और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरुप होनी चाहिए।” अदालत फिल्मकार अनुराग कश्यप की फैंटम फिल्म्स की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सीबीएफसी के आदेश को चुनौती दी गई थी।
अदालत ने कहा, “बोर्ड के निर्देश के मुताबिक पेशाब करने के दृश्य को हटाने और घोषणा में संशोधन को छोड़कर सीबीएफसी की समीक्षा समिति के छह जून के आदेश को खारिज और दरकिनार किया जाता है, जिसमें फिल्म में कुल 13 बदलाव करने के निर्देश दिए गए थे।”
उच्च न्यायालय के बाहर फिल्म के निर्देशक अभिषेक चौबे ने संवाददाताओं से कहा, “वकीलों के कठिन परिश्रम ने नतीजा दिया है। मैं फैसले से काफी खुश हूं। मुझे उम्मीद है कि फिल्म को सही संदर्भ में देखा जाएगा।”