कोमल झा |Navpravah.com
भारतीय चुनाव आयोग ने शनिवार सुबह 10 बजे से 2 बजे के बीच सभी पार्टियों को दिए ईवीएम हैकिंग का चैलेंज दिया। इसमें केवल दो पार्टियों, एनसीपी और सीपीआई (एम), ने हिस्सा लिया। आम आदमी पार्टी और बसपा चुनाव आयोग के इस चैलेंज में शामिल नहीं हुई। दोनों पार्टियों ने बीते विधानसभा चुनावों में ईवीएम के प्रयोग पर सवाल उठाया था।
जानिए, इस ईवीएम हैकिंग चैलेंज से जुड़ी 5 अहम बातें.
1 – पंजाब, यूपी और दिल्ली चुनावों वाली वोटिंग मशीनें
चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया में बीते चुनावों में प्रयोग की गई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को प्रयोग किया।
इस चैलेंज में हिस्सा लेने वाली राजनीतिक पार्टियों को पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में प्रयोग की गई 4 वोटिंग मशीनें दी गईं।
2 – चुनाव आयोग ने 56 पार्टियों को दी थी चुनौती
चुनाव आयोग ने देश की 7 राष्ट्रीय और 49 प्रदेश स्तर की राजनीतिक पार्टियों को ईवीएम के साथ छेड़छाड़ करने की चुनौती दी थी। आयोग की चुनौती को स्वीकार करने वाली पार्टियों में सिर्फ एनसीपी और सीपीआई (एम) शामिल हुईं।
3 – आम आदमी पार्टी करेगी निजी हैकिंग चैलेंज
आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग के हैंकिग चैलेंज में हिस्सा न लेकर समानांतर हैकिंग चैलेंज आयोजित करने की घोषणा की है। पार्टी ने इस चैलेंज को सभी पार्टियों, विशेषज्ञों और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को हिस्सा लेने का मौका दिया है।
इसके लिए पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर पंजीकरण भी शुरू किया है.पार्टी के मुताबिक, चुनाव आयोग का हैकिंग चैलेंज सिर्फ एक ‘ढकोसला’ है और आप के हैकिंग चैलेंज में हिस्सा लेने वालों को आप की प्रोटोटाइप मशीन को हैक करने का मौका मिलेगा. इस चैलेंज में भी मशीन को बटन दबाने और मशीन को आंखों से देखने की इजाजत होगी.
4 – ईवीएम का दावा – संभव नहीं हुई हैकिंग
चुनाव आयोग ने दावा किया है कि हैकिंग चैलेंज में शामिल होने वाली पार्टियां सिर्फ ईवीएम के तकनीकी पहलुओं को समझना चाहते थे और उन्हें मशीन के तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया गया।
5 – अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को नहीं मिली इजाज़त
चुनाव आयोग ने इस हैकिंग चैलेंज में अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के साथ छेड़छाड़ करने की इजाज़त नहीं दी।