नोट बंदी पर फेल हुआ मोदी का दांव!

सौम्या केसरवानी,

पांच सौ और हजार के नोट बंद हुए सात दिन से ज्यादा हो गये हैं, लेकिन आम जनता की परेशानियां जस की तस बनी हुई हैं। शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देशभर में करीब दो लाख एटीएम मशीनों को सुचारू रूप से संचालित होने में तीन हफ्तों का समय लग सकता है।

कालेधन की समस्या से निपटने के लिए कड़े कदम जरूरी हैं और मोदी सरकार से जनता को उम्मीदें भी हैं, परंतु, किसी भी बड़ी पहल की शुरुआत करने से पहले उससे जुड़े तमाम पहलुओं पर समुचित तैयारी भी आवश्यक है। पुराने बड़े नोटों की वापसी और उनकी जगह नये बड़े नोट लाने के निर्णय के बाद से बैंकों में भारी भीड़ है। एटीएम मशीनें लगभग ठप हैं।

नकदी की कमी का असर रोजमर्रा के लेन-देन और खरीद-बिक्री पर पड़ा है, इस संकट की मार सबसे अधिक आम लोगों को झेलनी पड़ रही है। देश की आबादी नकदी से काम चलाती है।

कार्डों और स्मार्ट फोन के जरिये होने वाले लेन – देन बड़े शहरों तक ही है, देश के अनेक क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएं भी संतोषजनक नहीं हैं, ऐसे में सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिए थे कि अफरातफरी के हालात न पैदा हो सकें। कम-से-कम बैंकों और एटीएम मशीनों तक पर्याप्त नकदी की उपलब्धता करनी चाहिए थी।

अगले कई दिनों तक ऐसे ही हालात बने रहेंगे। अभी तक बैंकों में 30 बिलियन डॉलर से अधिक जमा कराया जा चुका है। एटीएम मशीनों को नए नोट देने लायक बनाने में भी समय लगेगा। सरकार और बैंकिंग तंत्र की ओर से स्थिति को सामान्य बनाने के प्रयासों का भरोसा दिया जा रहा है, जिनके नतीजे आगामी कुछ दिनों में दिखने लगेंगे।

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