अनुज हनुमत,
अयोध्या में बाबरी मस्जिद के पैरोकार रहे हाशिम अंसारी का निधन हो गया है। वह 96 साल के थे। आज सुबह साढ़े पांच बजे उन्होंने फैजाबाद स्थित घर में अंतिम सांस ली। दरअसल, हाशिम अंसारी 22-23 दिसंबर, 1949 को अयोध्या अधिगृहित परिसर में प्रकट हुए रामलला के मुकदमे में गवाह थे।
असल में हाशिम अंसारी 1950 से लगातार बाबरी मस्जिद की पैरवी कर रहे थे और हाल ही में उनको लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल युनिवर्सिटी में एडमिट भी कराया गया था। लेकिन उनकी तबियत में ज्यादा सुधार नही हुआ।
बता दें कि 96 साल के अंसारी बाबरी मस्जिद मामले के सबसे बुजुर्ग पैरोकार थे और 1959 से इस मामले का मुकदमा अदालत में लड़ रहे थे और इस बाबत उन्होंने कई बार कोर्ट से बाहर जाकर भी हिन्दू धर्मगुरुओं से मिलकर मामले को सुलझाने का प्रयास किया लेकिन उन प्रयासों के नतीजे नहीं निकल पाए। हाशिम अंसारी का परिवार कई पीढ़ियों से अयोध्या में रह रहा है। हाशिम साल 1921 में पैदा हुए लेकिन जब वे सिर्फ ग्यारह साल के थे कि सन् 1932 में उनके पिता की मृत्यु हो गई।
सन 1949 में जब विवादित मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखी गई, उस समय प्रशासन ने शांति व्यवस्था के लिए जिन लोगों को गिरफ़्तार किया, उनमे हाशिम भी शामिल थे।
हाशिम का कहना था कि क्योंकि उनका सभी के साथ सामाजिक मेलजोल था, इसलिए लोगों ने उनसे मुकदमा करने को कहा और इस तरह वो बाबरी मस्जिद का पैरोकार बन गए। बाद में 1961 में जब सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने मुक़दमा किया तो उसमे भी हाशिम एक मुद्दई बने। पुलिस प्रशासन की सूची में नाम होने की वजह से 1975 की इमरजेंसी में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें आठ महीने तक बरेली सेंट्रल जेल में रखा गया।
कुछ सालों पहले हाशिम का कहना था कि वो फ़ैसले का भी इंतज़ार कर रहे हैं और मौत का भी, लेकिन वो चाहते हैं कि मौत से पहले बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि का फैसला देख लें लेकिन ऐसा नही हो सका।