एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
माफिया डॉन अबू सलेम को जेल से बाहर निकालने का एक और कानूनी दांव पेच खेला गया है। उसने पुर्तगाल की एक अदालत में एक याचिका दायर की है और थोड़े समय के लिए ही सही पुर्तगाल ले जाए जाने की मांग की है।
अबू सलेम के वकील मैनुअल लुइस फेरैरा ने लिस्बन कोर्ट में पत्र देकर अबू सलेम को पुर्तगाल में साक्ष्य देने के लिए ले जाने की अनुमति मांगी है। यह पत्र उसके वकील ने 31 मई को दिया है। अबू सलेम 1995 में बिल्डर प्रदीप जैन हत्या केस और 1993 में हुए सीरियल बम धमाकों में दोषी पाया गया था, जिसके बाद उसे उम्र कैद हुई थी।
उसने दिसंबर, 2014 में भी पुर्तगाल की एक अदालत में याचिका लगाई थी और कहा था कि उसके प्रत्यर्पण के लिए हुई शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा, इसलिए उसे वापस लिस्बन भेजा जाए।
सलेम चाहता है कि कोर्ट पुर्तगाली विदेश मंत्रालय को निर्देश करे कि संबंधित केस से संबंधित सारे दस्तावेज कोर्ट में पेश करें। सलेम यह भी चाहता है कि कोर्ट पुर्तगाली विदेश मंत्रालय और न्याय मंत्रालय को भी निर्देश दे कि उसके प्रत्यर्पण की औपचारिक रूप से समाप्ति को लागू की जाए।
लेकिन इस बीच भारत सरकार ने भी कार्रवाई तेज कर दी। भारत ने अबू सलेम की पिछली याचिका के संदर्भ में कहा कि चूंकि पुर्तगाल में मौजूद भारतीय राजदूत को डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी मिली हुई है, इसलिए उन्हें इस मामले में गवाही देने की कोई जरूरत नहीं है।
पुर्तगाल की अदालत में अबू सलेम द्वारा दायर की गई याचिका पर अब भारत, पुर्तगाल के विदेश मंत्रालय और पुर्तगाल के विधि मंत्रालय को 10 दिन में अपना-अपना जवाब देना होगा। सभी पक्षों का जबाव सुनने के बाद ही पुर्तगाल की अदालत तय करेगी कि अबू सलेम की याचिका को स्वीकार किया जाए या नहीं।