शिखा पाण्डेय,
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज 14वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन तथा 11वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए लाओस जाएंगे। सम्मेलन के दौरान नौवहन सुरक्षा, आतंकवाद, आर्थिक एवं सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग जैसे मसले अहम् चर्चा का विषय होंगे। इन शिखर सम्मेलनों में आसियान के 10 राष्ट्राध्यक्ष या शासन प्रमुख और पूर्वी एशियाई सम्मेलन में 18 देश हिस्सा ले रहे हैं।
लाओस में आज से शुरू हो रहे आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेने जाने से पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दक्षिण एशियाई देशों के साथ भौतिक और डिजिटल सम्पर्क बढ़ाने और आधुनिक एवं एक दूसरे से जुड़ी दुनिया का उपयोग आपसी फायदे के लिए करने को इच्छुक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध सही अर्थ में ऐतिहासिक हैं। हमारे जुड़ाव एवं पहल को एक शब्द से व्यक्त किया जा सकता है और वह ‘कनेक्टिविटी’ है।
लाओस की अपनी दो दिवसीय यात्रा से पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी एक्ट ईस्ट नीति के संदर्भ में आसियान महत्वपूर्ण साझेदार है और यह हमारे उत्तरपूर्वी क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
मोदी ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एशिया प्रशांत क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों एवं अवसरों के बारे में चर्चा करने को प्रमुख मंच है।उन्होंने कहा, “आसियान के साथ हमारी सामरिक साझेदारी हमारे सुरक्षा हितों और क्षेत्र में पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिहाज से महत्वपूर्ण है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अपनी भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाना चाहते हैं, लोगों के बीच वृहत सम्पर्क बढ़ाने के साथ अपने संस्थागत संबंधों को मजबूती प्रदान करना और एक दूसरे से जुड़ी आधुनिक दुनिया का लाभ हमारे अपने लोगों के साझे फायदे के लिए करना चाहते हैं। शिखर सम्मेलनों से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया के कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।