अमित द्विवेदी@नवप्रवाह.कॉम,
महाराष्ट्र में भाजपा सरकार ने मराठियों को खुश करने के चक्कर में लाखों उत्तर भारतीयों को निराश कर दिया है। सरकार ने एक नई योजना शुरू की है, जिसके तहत मराठी भाषा जानने वालों को ही ऑटो रिक्शा का परमिट प्रदान किया जाएगा। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह सरकार मनसे स्टाइल में काम करने की कोशिश कर मराठी कार्ड खेल रही है।
राज्य सरकार भले ही इस योजना के ज़रिए मराठी मानुष को खुश करने में लगी है लेकिन इस निर्णय की वजह से सरकार ने लाखों उत्तर भारतीयों को निराश करने का काम किया है।
कांग्रेस ने इस कदम का विरोध किया है और कहा है कि भाजपा गैर कानूनी काम कर रही है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सरकार भाषा के नाम पर उत्तर भारतीयों के साथ ज़्यादती कर रही है। भाषा के नाम पर की जा रही राजनीति निंदनीय है।
मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार के परिवहन मंत्री ने ऐलान किया है कि जिन्हें मराठी नहीं आती अब उन्हें परमिट नहीं दिया जाएगा। राज्य में दिवाकर रावते शिवसेना के कोटे से परिवहन मंत्री बने हैं। आदेश के मुताबिक परमिट के लिए एक विशेष पत्र है, जो इलाके में ऑटो चलाकर व्यवसाय करने की अनुमति देगा। यह परमिट परिवहन विभाग की ओर से जारी किया जाता है।
ऑटो परमिट के लिए ली जाएगी परीक्षा–
मंत्री दिवाकर रावते ने स्पष्ट किया है कि ऑटो चलाने वाले को मराठी आती होगी तभी वह ग्राहकों से आसानी से बातचीत कर सकेंगे।
1 लाख 40 हज़ार परमिट होगा जारी-
महाराष्ट्र राज्य का परिवहन विभाग नवंबर में मुंबई उपनगर, ठाणे और रायगढ़ इलाके में पुराने और नए मिलाकर कुल 1 लाख 40 हजार 65 परमिट्स जारी करने जा रहा है। परमिट के लिए अक्टूबर महीने में लिखित परीक्षा आयोजित की जाएगी। जिसमें मराठी भाषा का ज्ञान परखा जाएगा।
सरकार के इस कदम की निंदा करते हुए कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा कि भाषा के नाम पर ऐसा निर्णय कानून के खिलाफ है। जिससे आम जनता का नुकसान होगा।