ब्यूरो
भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। इस समझौते के मुताबिक़ दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के मिलिट्री बेस का इस्तेमाल कर सकेंगी। इस समझौते पर आगामी कुछ हफ़्तों में हस्ताक्षर भी हो जाएंगे। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने स्पष्ट किया कि इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि भारत की ज़मीन पर अमेरिकी सैनिकों की तैनाती रहेगी।
इस मुद्दे पर यूपीए सरकार के दौरान ही समझौता होना था लेकिन किसी वजह से हो नहीं पाया था। भारत दौरे पर आए अमेरिका के रक्षा सचिव एस्टन कार्टर और भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मामले पर सहमति जताई और स्पष्ट किया कि आगामी कुछ हफ़्तों में दस्तावेजों पर दस्तखत भी हो जाएंगे।
द्विपक्षीय रक्षा समझौते को मजबूती देते हुए भारत और अमेरिका दोनों ने नौवहन की स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कानून की जरूरत पर बल दिया है। ऐसा अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दखलअंदाजी को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है।
रक्षा सम्बंधी समझौते पर रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि चूंकि हमारे बीच सहयोग बढ़ रहा है, इसलिए इस तरह के समझौते को लागू करने के लिए हमें व्यवस्था बनानी होगी। उन्होंने कहा कि वे और कार्टर आगामी महीने में लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) करने को सहमत हैं।