आनंद द्विवेदी
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक अहम फैसला लेते हुए वर्ष 2009 से पहले के एमफ़िल व पीएचडी पंजीकृत उम्मीदवारों को नेट परीक्षा से छूट देकर सौगात दे दी है। यद्यपि इसे लेकर कुछ शर्तें भी लगाईं गई हैं। UGC के 11 जुलाई 2009 के नियमानुसार असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पद के लिए नेट अनिवार्य किया गया था।
मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि 11 जुलाई 2009 से पहले के पंजीकृत एमफ़िल और पीएचडी धारक उम्मीदवारों के लिए शिक्षक नियुक्ति के पुराने नियम ही लागू होंगे। इसके लिए उन्हें नेट या इसके समकक्ष राज्य की परीक्षा उत्तीर्ण करने की अब कोई जरूरत नहीं है। इसके बिना भी उनकी नियुक्ति बतौर सहायक प्रोफेसर विश्विद्यालय के द्वारा की जा सकती है। इस बाबत कुछ शर्तें भी लागू होंगी।
शर्तों के मुताबिक़ असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त किये जाने के लिए पीएचडी की डिग्री रेगुलर तरीके से मिली होनी चाहिए, जिसकी जांच में दो बाह्य विशेषज्ञों का अनिवार्यतः होना चाहिए। साथ ही डिग्री का ओपन वाइवा हुआ होना चाहिए।
उम्मीदवार दो शोध पत्र प्रकाशित कर चुका हो, जिसमें एक किसी जर्नल में प्रकाशित हुआ हो। इसके साथ ही कम से कम दो सेमिनार्स या कांफ्रेंसेस में उम्मीदवार ने प्रेजेंटेशन भी दिया हो। उक्त सभी शर्तें कुलपति,डीन, या प्रो कुलपति द्वारा प्रमाणित होने पर ही मानी होंगी।
मंत्री ने कहा कि जो भी पीएचडी धारक इसके लिए आन्दोलनरत थे उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। वो भी बतौर फैकल्टी नियुक्त किये जाने के अधिकारी होंगे। सरकार ने पीएचडी धारकों की समास्याओं को सहानुभूति पूर्वक निराकृत करने का कदम उठाया है।
गौरतलब है कि इस समस्या से जूझ रहे आंदोलनकारी पीएचडी धारक मंत्री से मिल चुके थे और अपनी समस्या को उनके सामने रख चुके थे। उन्हें सरकार की तरफ से बड़ी राहत प्रदान की गई है।