ShikhaPandey@Navpravah.com
असली नक़ली, हम दोनों, मेरे मेहबूब, वो कौन थी और वक़्त जैसी तमाम फिल्मों में अपनी हसीन अदाओं का जादू बिखेरने वाली मशहूर अभिनेत्री साधना हमारे बीच नहीं रहीं। शुक्रवार सुबह करीब 11:30 बजे लंबी बीमारी के चलते उनका मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। साधना 74 वर्ष की थीं।
साधना का जन्म 2 सितम्बर 1941 में संयुक्त भारत के कराची शहर में हुआ था। साधना ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत एक सिंधी फ़िल्म से की थी, जिसमें उन्होंने शीला रामानी की छोटी बहन की भूमिका निभाई थी। साधना बॉलीवुड में 35 से ज़्यादा फिल्मों में प्रमुख भूमिका में नज़र आईं।
नंदा, बबिता, सायरा बानो, आशा पारेख, शर्मीला टैगोर जैसी खूबसूरत अदाकाराओं से कड़ा मुक़ाबला होने के बावजूद साधना 60 के दशक की शीर्ष अदाकारा थीं। उन्होंने उस दशक के सभी दिग्गज कलाकारों जैसे देव आनंद, राजेंद्र कुमार, शम्मी कपूर, राज कुमार, मनोज कुमार इत्यादि के साथ अभिनय किया।
60 के दशक में साधना के आउटफिट से प्रभावित होकर लगभग सभी लड़कियों ने घुटने तक लंबे चुस्त कुर्ते और चूड़ीदार सलवार पहनना शुरू कर दिया था।साधना का यह पहनावा उन्होंने खुद डिज़ाइन किया था, जो सन 60 के दशक की पहचान बन गया।
बुरखे से झाँकती उनकी खूबसूरत आँखें फ़िल्म ‘मेरे मेहबूब’ के बाद से खासी चर्चा का विषय बन गयी थीं। उनकी हेयर स्टाइल ने फ़िल्म ‘लव इन शिमला’ से ही सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी थी और 60 के दशक में तो साधना कट इतना मशहूर हो गया कि भारत की गली गली में लड़कियां वो हेयर कट कराने लगी थीं। इस फ़िल्म में उन्हें ये हेयर स्टाइल इसलिए दी गई थी ताकि उनका चौड़ा माथा छुपाया जा सके लेकिन दर्शकों ने इस हेयर स्टाइल को इस हद तक पसंद किया कि यह कट साधना की पहचान बन गया।
‘लव इन शिमला’ साधना की पहली हिंदी फ़िल्म थी जिसमें, उन्होंने जॉय मुखर्जी के साथ अभिनय किया। इस फ़िल्म के डायरेक्टर आर.के.नैयर थे, जिनके साथ उनका प्रेम परवान चढ़ा और नैयर के साथ 1966 में उन्होंने विवाह किया।
70 के दशक में भी उन्होंने कई फिल्मों में काम किया जिनमें से एक फ़िल्म उन्होंने खुद डायरेक्ट भी की थी।पर फिल्मों से सन्यास ले लेने के बाद वे फ़िल्म समारोहों व मीडिया से दूर ही रहीं। साधना की कोई संतान नहीं थी। आर.के. नैयर भी वर्ष 1995 में उनका साथ छोड़ दुनिया को अलविदा कह गए। पूर्ण रूप से एकाकी जीवन जी रही साधना वर्ष 2014 में रणबीर कपूर के साथ आखिरी बार एक कार्यक्रम में अपनी उसी बेमिसाल खूबसूरती और हेयर कट के साथ नज़र आई थीं।
परख, एक मुसाफिर एक हसीना, मेरा साया, मेरे मेहबूब, वो कौन थी, वक़्त, हम दोनों जैसी कई बेहतरीन फिल्में हमेशा लोगों के दिलों पर राज करती रहेंगी। नैना बरसे, लग जा गले, कौन आया, अभी न जाओ छोड़ कर जैसे उनके सदाबहार नगमे लोगों के होंठों पर हमेशा सजे रहेंगे। झुमका गिरा रे गीत पर उनका वो चुलबुला नाच दर्शक कभी भूल नहीं पाएंगे।