गुजरात: पटेलों के हिंसक आंदोलन से जनजीवन अस्त व्यस्त

ब्यूरो
अभी जेएनयू ,हैदराबाद एवं एनआईटी की आग ठंडी भी नही हुई थी की गुजरात में पटेलों द्वारा आरक्षण की मांग ने एक बार फिर बड़ा और हिंसात्मक रूप अख्तियार कर लिया है । राज्य सरकार ने मेहसाना में पटेल समुदाय की एक विशाल रैली के बाद रविवार को गुजरात के कई हिस्सों में भड़की हिंसा और कुछ पटेल संगठनों द्वारा सोमवार के ‘गुजरात बंद’ के आह्वान को देखते हुये अहमदाबाद, मेहसाना और सूरत में रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) को तैनात किया और अन्य स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।
मेहसाणा में कल लगाया गया कर्फ्यू और धारा 144 भी हटा ली गई है। वैसे इस पूरे प्रदर्शन का असर कई जगह बाजार बन्द के रूप में दिख रहा है।
गुजरात के मुख्य सचिव जी आर अलोरिया ने पत्रकारों को बताया कि रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की 5 कंपनियां इन 3 शहरों में तैनात की गयी है। इसके अलावा, स्टेट रिजर्व पुलिस (एसआरपी) की 20 कंपनियों को भी पूरे राज्य में तैनात किया गया है।वही दूसरी ओर सरदार पटेल ग्रुप (एसपीजी) के साथ-साथ हार्दिक पटेल की अगुवाई वाली पाटीदार अमानत आंदोलन समिति (पीएएएस) ने आज (सोमवार) ‘गुजरात बंद’ का आह्वान किया है।
कल देर शाम वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक के बाद अलोरिया ने बताया, ‘नियमित पुलिस बल के अलावा, हमने अहमदाबाद और मेहसाना में आरएएफ की दो-दो कंपनियां और एक कंपनी सूरत में तैनात किया है। अगर जरुरत हुई तो स्थिति से निपटने के लिए हम केन्द्र से आरएएफ से 10 और कंपनियां आवंटित करने को कहेंगे।’
बताते चले की कल आरक्षण और जेल में बंद समुदाय के नेताओं की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर पटेल समुदाय की विशाल रैली ने रविवार को हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने दो भवनों में आग लगा दी और कुछ पुलिस वाहनों को क्षतिग्रस्त किया। इसके बाद महेसाणा शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था और इंटरनेट सेवा पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। वैसे एक बार फिर प्रदेश की आनंदीबेन सरकार के ऊपर इस आंदोलन को बड़ा रूप लेने से रोकने की अग्निपरिक्षा है । वैसे भी केंद्र की भाजपा सरकार कुछ समय से ऐसे ही मुद्दों को लेकर बैकफुट पर दिख रही है।

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