ब्यूरो
अमेरिका द्वारा वीज़ा फीस में बढ़ोत्तरी को भारत ने पक्षपाती रवैया बताया है। इस कदम से सर्वाधिक हानि आईटी क्षेत्र में काम कर रहे भारतीयों को ही हो रहा है। अमरीका के व्यापार प्रतिनिधि राजदूत माइकेल फ्रीमैन से द्विपक्षीय वार्ता में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बात पर जोर दिया कि टोटलाइजेशन अनुबंध को जल्द से जल्द पूर्ण किया जाए, ताकि अमरीका में कार्यरत भारतीय लोगों को इसका फायदा मिल सके।
वित्त मंत्री ने वीज़ा विषय में कहा कि, “भारत H-1B एवं L वीज़ा की फ़ीस में बढ़त को लेकर काफी चिंता में है, जिसे हम पक्षपातपूर्ण मानते हैं। भारतीय आईटी कम्पनीज इसका सीधा टारगेट हैं। गत वर्ष अमरीकी संसद ने H-1B एवं L-1 वीज़ा पर 4500 डॉलर्स तक की स्पेशल ड्यूटी लगाईं थी, जोकि 9/11 के स्वास्थ्य अधिनियम व बायोमेट्रिक ट्रैकिंग सिस्टम के आर्थिक दृढ़ता के हित में उठाया गया कदम था।
भारतीय आईटी कम्पनीज में ये वीसा काफी प्रचलित हैं। इसमें संसदीय नेताओं के द्वारा ग्यारह सौ अरब डॉलर्स के खर्च विधेयक पर स्वीकृति देकर कुछ कैटेगरी के H-1B वीज़ा पर चार हजार डॉलर और L-1 वीज़ा पर चार हजार पांच सौ डॉलर की ड्यूटी लगाये जाने का निर्णय लिया गया था।
वित्त मंत्री के अनुसार भारत टोटइज़ेशन अनुबंध को जल्द से जल्द पूरा करवाना चाहता है। औद्योगिक अनुमान के अनुसार भारत के प्रोफेशनल्स ने पिछले दस वर्षों में अमरीका में सोशल सिक्योरिटी के लिए 25 अरब डॉलर्स का योगदान दिया है, लेकिन उन्हें अपने योगदान के वाप प्राप्त करने का मौका अब तक नहीं मिला है।