कहाँ हैं हमारे राम ?

अनुज हनुमत 

एक राम घर की तलाश में मायूस बैठे हैं क्या वही है हमारे राम? एक राम पिछले कई दशक से धनुष बाण लिए खड़े हैं उनको क्रोधित स्वरुप में दिखाया गया है, क्या वही है हमारे राम ? एक राम जिन्हें कुछ लोगों ने ‘सांप्रदायिकता का प्रतीक’ बना दिया है क्या वही हमारे राम?

अगर ये तीनों ही हमारे राम नही हैं तो आखिर मौजूदा समय में कहाँ हैं हमारे राम ?  हमारे राम तो मर्यादपुरुषोत्तम हैं, हर प्राणी मात्र के हृदय में बसने वाले हैं। तो क्या हमने उन्हें अपने हृदय से निकाल दिया ? या उन्हें फिर से वनवास भेज दिया? क्योंकिं अगर राम इस धरती पर होते तो एक मनुष्य दुसरे मनुष्य से ईर्ष्या न करता। कोई भी अपनी ही बहन बेटियों की इज्जत न तार तार करता और न ही अपने माँ बाप को सताता। न तो इस धरती पर धर्म के नाम पर खून बहता और न ही दो मुल्क आपस में बंटते। अधिकांश लोगो का कहना है कि ‘राम थे’ जबकि ऐसा नही है। राम न भूत हैं और न ही भविष्य बल्कि राम तो वर्तमान हैं।

राम कभी मरते नहीं बल्कि राम तो जीवन की वो पवन हैं, जो हर स्वांस में बसती है। राम तो वो विचार हैं, जो मन से उठने वाली हर तरंग में है। राम तो वो हैं जो हर हृदय में निवास करते हैं। राम अहिंसा और ब्रह्मचर्य के प्रतीक हैं। राम एक पूरा जीवन हैं। राम बहुत सरल हैं, इतने कि उन्हें अपनी पूजा पसंद नहीं, अपनी तारीफ कबूल नहीं, वे तो अपनों की खुशी में ही अपनी खुशी महसूस करते हैं। राम कष्ट भी और राम आनंद भी।

आज रामनवमी के दिन पूरा देश बड़े हर्षोल्लास के साथ श्री राम का जन्मोत्सव मना रहा है, पर इस समय देश की स्थिति यह है कि श्री राम के नाम तक को हिंसा और साम्प्रदायिकता का प्रतीक मान लिया गया है, जबकि ऐसा गलत है। इस समय देश में दो पक्षों द्वारा राम के वास्तविक अस्तित्व के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, एक तो वो पक्ष है जो भगवान राम को अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति मानते हैं और इस नाते उनके राम हमेशा ही धनुष बाण लिए दशकों से एक ही मुद्रा में खड़े हैं, जिसमे उन्हें एक फाइटर मैन बनाया गया है। जो स्वभाव से बहुत क्रोधी और अपने हक़ के लिए लड़ने वाला योद्धा हैं।

दूसरा पक्ष उन लोगो का है जो राम को न तो जानते हैं और न ही उनके वास्तविक अस्तित्व को स्वीकारते ही हैं। इनका मानना है कि राम हिंसा और साम्प्रदायिकता के प्रतीक हैं और वो मानवता के पोषक नही बल्कि उसके दुश्मन हैं । इस पक्ष को रामराज्य की कल्पना ही गलत और भ्रामक लगती है। कुछ भी हो पर ये तो स्पष्ट है कि दोनों ही पक्ष राम को नहीं जानते हैं और न ही उनके आदर्शों को समझ पा रहे हैं।

सबसे बड़ी बात ये है कि जो पक्ष राम के अस्तित्व को स्वीकारता है, वही मूल रूप से मौजूदा समय में राम के गायब होने के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि जो हमारे राम हैं, उनका घर तो ये पूरा संसार है और फिर ये अपने राम के रहने के लिए घर की लड़ाई दशकों से लड़ रहे हैं। शायद हमारे राम को इन दोनों पक्षों ने मिलकर फिर से वनवास में भेज दिया, इसीलिए आज हमारे राम हमारे बीच नही हैं ।

इसलिए आज रामनवमी के पावन दिन पर इसी प्रश्न का उत्तर खोज रहा हूँ कि “कहाँ हैं हमारे राम ?”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.