सिने प्रवाह | Navpravah.com
कुछ कहानियाँ सुकून देती हैं, गुदगुदाती हैं और क्षण भर में स्तब्ध कर देती हैं। बहुत कुछ ऐसा छोड़ जाती हैं, जो हमें लम्बे समय तक गुमसुम रहने पर मजबूर करती हैं। ‘चिंटू का बर्थडे’ एक ऐसी ही एक वेब फ़िल्म है, जो आप को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करेगी।
कहानी-
एक हँसता-खेलता मिडिल क्लास परिवार इराक़ में है तिवारी जी का। उनका छोटा बच्चा चिंटू है, उसके बर्थडे की तैयारियाँ चलती रहती हैं। चिंटू की अपने पापा से शिकायतें आपको मुस्कुराने पर विवश करती हैं। तभी अचानक से गोलियों की तेज़ आवाज़ डरा देता है। परिवार सन्न, सब सहम जाते हैं। तिवारी दरवाज़ा खोलते हैं, सामने अमेरिकी सेना के जवान बंदूक़ ताने अंदर घुसते हैं और तिवारी पर आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाते हुए तोड़-फ़ोड़ करते हैं। दरवाज़ा तोड़ते ही दरवाज़े के उस तरफ़ दो बच्चे खड़े होते हैं, इराक़ी लहजे में कहते हैं, “हम चिंटू का बर्थ डे सेलिब्रेट करने आए हैं, हम उसी स्कूल में पढ़ते हैं, जिसको आप ने आज सुबह तहस-नहस कर दिया। तभी चिंटू पापा से कहता है, “पापा हम इन्हें केक नहीं देंगे”। बेहद मार्मिक कहानी, जो बहुत अन्दर तक वार करती है।
विनय पाठक हैं, इसलिए इतनी निश्चिंतता है कि फ़िल्म देखने लायक तो होगी। उदाहरण के तौर पर, फ़िल्म के ट्रेलर में दो संवाद, “My chintu is crying on his happy birthday…it is wrong..”, और “जो बिगड़ना है बिगड़ जाए…चिंटू का बर्थडे तो हम मना के ही रहेंगे।” विनय पाठक के होने का अहसास करा रहे हैं।
साथ ही तिलोत्तमा शोम , जो कि अपने अभिनय के दमपर फ़िल्म जगत में एक अलग स्थान बना चुकी हैं, फ़िल्म में बतौर चिंटू की माँ और मिसेज तिवारी खासी जँच रही हैं।
बहरहाल, मनोरंजन के नामपर भसड़ मचाये अनेक फिल्मों के बीच, ‘चिंटू का बर्थडे’ बड़ी ही पॉजिटिव सी फ़ीलिंग दे रहा है। इस कहानी से बड़ी उम्मीद है, फ़्रेश फ़ील करेंगे। हँसेंगे, ग़ुस्सा होंगे और शायद रोऐँ भी। हम फ़िल्म की समीक्षा पाँच जून को पेश करेंगे। बेसब्री से इंतज़ार होगा इस फ़िल्म का।
देखें ट्रेलर-