नृपेन्द्र कुमार मौर्य | navpravah.com
नई दिल्ली | दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में छात्र संघ चुनाव की तैयारियाँ अपने चरम पर हैं, जहां 27 सितंबर को छात्र संघ के चार महत्वपूर्ण पदों—अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, और संयुक्त सचिव—के लिए मतदान होगा। चुनावी प्रक्रिया के तहत विश्वविद्यालय ने 19 सितंबर को सभी पदों के लिए उम्मीदवारों की प्रोविजनल सूची जारी की है। इसमें अध्यक्ष पद के लिए 8, उपाध्यक्ष के लिए 5, सचिव के लिए 4, और संयुक्त सचिव के लिए 4 उम्मीदवारों का नाम शामिल है।
छात्र संगठनों में सबसे पहले अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अपने उम्मीदवारों की आधिकारिक घोषणा कर दी है। एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए ऋषभ चौधरी, उपाध्यक्ष के लिए भानु प्रताप सिंह, सचिव के लिए मित्रविन्दा, और संयुक्त सचिव के लिए अमन कपासिया के नामों का ऐलान किया है। एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शरण शाही ने चुनाव में चारों सीटों पर विजय का दावा करते हुए संगठन के मजबूत आधार पर विश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि एबीवीपी पिछले वर्षों की तरह इस बार भी छात्रों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी।
वहीं, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने भी चुनावी दंगल में कूदते हुए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने आशा व्यक्त की है कि संगठन चारों सीटों पर विजय प्राप्त करेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीतिक परिदृश्य में इस बार एक महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना दिखाई दे रही है। एनएसयूआई अपने मैनिफेस्टो को 21 सितंबर को दोपहर 12 बजे लॉन्च करने की योजना बना रहा है, जिसमें छात्र कल्याण से संबंधित मुद्दों पर जोर दिया जाएगा।
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच प्रचार-प्रसार की होड़ तेज हो गई है। छात्र संगठनों ने मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपनाई हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में एक लाख से अधिक मतदाता हैं, जो इस चुनाव में अपनी भागीदारी निभाएंगे। चुनावी प्रक्रिया के दौरान बैनर, पोस्टर, और किसी भी प्रकार की छपी सामग्री का प्रचार करने की अनुमति नहीं है, जिससे चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
चुनाव के परिणाम 28 सितंबर को घोषित किए जाएंगे, जो कि छात्र संगठनों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होगा। इस बार के चुनावों में उम्मीदवारों की संख्या और छात्रों के बीच बढ़ती जागरूकता यह संकेत दे रही है कि चुनावी प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक प्रतिस्पर्धात्मक होगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव को लेकर अब हलचल तेज हो गई है, और सभी संगठनों ने अपने-अपने दावे और रणनीतियाँ स्पष्ट कर दी हैं। छात्रों की भागीदारी और उनकी जागरूकता इस बार के चुनाव को और भी महत्वपूर्ण बना रही है, जिससे विश्वविद्यालय का राजनीतिक माहौल और भी रोचक बनता जा रहा है। सभी की निगाहें अब 27 सितंबर की मतदान प्रक्रिया और उसके बाद आने वाले परिणामों पर टिकी हुई हैं।