लखनऊ। वैसे तो कहने को उत्तर प्रदेश पुलिस पीड़ितों को अपना हितैषी बताती है लेकिन जब बात फर्ज निभाने की आती है तो पुलिस पीछे हटने लगती है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है लखनऊ में जब एक पीड़िता अशोका सक्सेना रोड एक्सीडेंट में मारे गए अपने पति को न्याय दिलाने के लिए सालों से पुलिस थानों का चक्कर लगा रही है। बावजूद इसके उनको न्याय दिलाना तो दूर पुलिस संवेदनहीन रवैया अपना कर अपने फ़र्ज़ से दूर भाग रहा है।
बता दें कि 6 अप्रैल 2018 को एक न्यूज़पेपर विक्रेता शंकर लाल सक्सेना सुबह अपने न्यूज़पेपर लगाने के काम से निकले, जैसे ही वो निशातगंज चौराहे पर पहुंचे तो तेज़ रफ्तार से आ रही एक स्कूली वैन ने उनको सामने से टक्कर मार दी, जिसकी वजह से वो गंभीर रूप से घायल हो गए और जब उनको सिविल हॉस्पिटल ले जाया गया तो डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। लेकिन पुलिस की लापरवाही यहां भी दिखती है कि मृतक की सूचना परिवार वालों को 18 घंटे बाद रात में दी गई। जिसके बाद परिवार में मातम पसर गया।
परिवार ने हिम्मत बांध कर क्रिया-कर्म किया और मृतक को इन्साफ दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई की ठानी, जिसके बाद इस मामले में 11 अप्रैल 2018 को पहली बार FIR दर्ज की गई। इसके बाद से जैसे पुलिस ने अपना रंग ही बदल लिया हो और मृतक की पत्नी को आश्वासन देने के सिवा इस मामले में कोई भी तरक्की नहीं मिली। हद तो तब हो गई जब पुलिस को इस मामले में चार्जशीट दायर करने में करीब डेढ़ साल का समय लग गया। सब इंस्पेक्टर से लेकर पुलिस कप्तान तक से गुहार लगा चुकी मृतक की पत्नी को कही से भी न्याय नहीं मिला। पीड़िता के मुताबिक जिसने एक्सीडेंट किया था उसका गाड़ी नंबर पुलिस को बताया गया था लेकिन फिर भी कोई कार्यवाई नहीं हुई।
इस मामले को लेकर पीड़िता ने SPTG से मिलने के लिए समय माँगा तो मिलने से ही इंकार कर दिया और कहा कि मुझसे कोई मतलब नहीं, आप चंद्रकांत मिश्रा से संपर्क करिए।