नृपेन्द्र मौर्य | navpravah.com
गोरखपुर | उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा ‘पीसीएस प्री’ और ‘आरओ-एआरओ’ परीक्षा दो दिन कराने का निर्णय लिया गया है, जिसके कारण प्रतियोगी छात्र आक्रोशित हैं और इसके विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। इस निर्णय के विरोध में सोमवार से छात्रों ने आयोग के गेट पर धरना-प्रदर्शन शुरू किया, जो देर रात तक जारी रहा। दिन ढलने के साथ, हजारों छात्र वहां इकट्ठा हुए और अपनी एकता प्रदर्शित करने के लिए मोबाइल टॉर्च जलाकर प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में छात्रों की प्रमुख मांग है कि परीक्षा को एक ही दिन में समाप्त किया जाए, ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिले और परीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी रहे।
आयोग के प्रवक्ता ने इस निर्णय के पक्ष में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि परीक्षाओं की शुचिता और अभ्यर्थियों की सुविधा सुनिश्चित करना आयोग की प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि परीक्षा उन केंद्रों पर आयोजित की जा रही है, जहां किसी प्रकार की अनियमितताओं की संभावना नहीं है। आयोग का दावा है कि कुछ दूर-दराज के परीक्षा केंद्रों पर पहले कई प्रकार की गड़बड़ियां सामने आई थीं। इन गड़बड़ियों से बचने के लिए आयोग ने केवल उन केंद्रों का चयन किया है, जो उचित और सुरक्षित माने जाते हैं।
इसके अलावा, प्रवक्ता ने कहा कि कुछ अभ्यर्थियों ने आयोग को पत्र लिखकर जानकारी दी है कि कुछ टेलीग्राम और यूट्यूब चैनल परीक्षा को टलवाने की साजिश कर रहे हैं। इस प्रकार के दावों के बावजूद, छात्रों का प्रदर्शन जारी है। धरने पर बैठे छात्रों ने रातभर आयोग के गेट के सामने अपनी मांगों के समर्थन में विरोध जारी रखा।
विरोध प्रदर्शन के दौरान आयोग के आसपास भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात थे। पुलिस ने छात्रों को गेट नंबर-दो की तरफ आने से रोका, लेकिन छात्रों की बड़ी भीड़ ने बैरिकेड को पार करते हुए गेट के पास पहुंचकर धरना शुरू कर दिया। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने का प्रयास किया और उन्हें खदेड़ा, परंतु छात्र फिर से एकत्रित होकर धरने पर बैठ गए। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि युवा विरोधी भाजपा सरकार का छात्रों पर लाठीचार्ज अत्यंत निंदनीय है। उन्होंने आयोग में कथित धांधली का आरोप लगाते हुए सरकार की कड़ी आलोचना की और कहा कि भाजपा के एजेंडे में नौकरियां नहीं हैं।
धरने में भाग ले रहे प्रतियोगी छात्रों ने अपनी मांगों के समर्थन में विभिन्न तख्तियां उठाई हुई थीं, जिन पर “बटेंगे नहीं, हटेंगे नहीं, न्याय मिलने तक एक रहेंगे” और “एक दिन, एक परीक्षा” जैसे नारे लिखे थे। आंदोलनरत छात्रों का कहना है कि यूपीपीएससी का दो दिन में परीक्षा कराने का निर्णय अव्यवहारिक है और छात्रों के हित में नहीं है। छात्रों का यह भी कहना है कि आयोग ने पहले इस बात का जिक्र नहीं किया था कि परीक्षा दो दिनों में कराई जाएगी। प्रतियोगी छात्र चाहते हैं कि परीक्षा एक ही दिन में समाप्त हो, ताकि सभी छात्रों के लिए निष्पक्ष और समान अवसर सुनिश्चित किया जा सके।
छात्रों का यह भी कहना है कि आयोग के पास सीमित परीक्षा केंद्र होने के बावजूद, वह पूरी व्यवस्था संभालने में असमर्थ है। प्रतियोगी छात्र विमल त्रिपाठी ने कहा कि आयोग की ओर से परीक्षा के पहले ही अधिसूचना जारी कर दी गई थी कि परीक्षा दो दिन में होगी, जबकि छात्रों का मानना है कि इस तरह का निर्णय अव्यावहारिक है और एक ही दिन में परीक्षा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आयोग केवल सरकारी विद्यालयों में परीक्षा आयोजित कर रहा है और केवल 41 जिलों में ही केंद्रों की व्यवस्था की गई है। त्रिपाठी का कहना है कि आयोग का कार्य केवल परीक्षाएं आयोजित करना है, लेकिन वह इस जिम्मेदारी को पूरी तरह से निभाने में असमर्थ है।
प्रतियोगी छात्रा ने इस निर्णय की आलोचना की और कहा कि आयोग का दो दिन में परीक्षा कराना नियम के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि अधिसूचना में इस बात का कहीं उल्लेख नहीं था कि परीक्षा दो दिनों में कराई जाएगी। मनोरमा और अन्य छात्रों का मानना है कि परीक्षा को एक दिन में ही संपन्न कराया जाना चाहिए, ताकि सभी छात्रों को एक समान अवसर मिले। आयोग ने पिछले मंगलवार को परीक्षा की तिथियों की घोषणा की, जिसमें पीसीएस प्री की परीक्षा के लिए 7 और 8 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई है, जबकि समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ-एआरओ) की परीक्षा के लिए 22 और 23 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई है।
पुलिस उपायुक्त (नगर) अभिषेक भारती ने बताया कि अपर पुलिस आयुक्त एन. कोलांची और अन्य वरिष्ठ अधिकारी छात्रों से बातचीत कर स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आयोग के भीतर अधिकारियों के साथ छात्रों की मांगों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है और समाधान निकालने का प्रयास हो रहा है।
इस आंदोलन के दौरान छात्र अपनी मांगों के लिए दृढ़ बने हुए हैं और आयोग के समक्ष उन्हें मनवाने के लिए डटे हुए हैं। छात्र किसी भी स्थिति में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और उनकी मांगें स्पष्ट हैं कि परीक्षा एक ही दिन में संपन्न कराई जाए। वहीं, आयोग का कहना है कि परीक्षा की शुचिता और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए ही यह निर्णय लिया गया है।
आंदोलनकारी छात्रों का कहना है कि इस निर्णय से उनका भविष्य प्रभावित होगा और उनके परीक्षा देने के अवसरों में असमानता उत्पन्न होगी। इसलिए, वे चाहते हैं कि आयोग अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करे और सभी छात्रों के हित में एक ही दिन में परीक्षा आयोजित करे।