रिद्धम ठाकुर | Navpravah.com
फिल्म पीपली लाइव के निर्देशक महमूद फारुकी को बलात्कार केस के आरोप में बरी किये जाने के खिलाफ दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को याचिका को ख़ारिज कर दिया। इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि यह मामला दो अजनबियों की मुलाक़ात का नहीं है बल्कि ये एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें दोनों एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानतें थे। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि महमूद फारुकी का मामला बेहद मुश्किल था, लेकिन हाई कोर्ट ने बेहतरीन फैसला दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम हाई कोर्ट के आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे, इसलिए हम इस याचिका को ख़ारिज करतें हैं। याचिकाकर्ता की वकील विरिन्दा ग्रोवर ने कोर्ट में कहा कि महमूद फारुकी और मेरी याचिकाकर्ता भले ही अच्छे दोस्त हैं, पर याचिकाकर्ता ने अपनी मर्ज़ी से सेक्स नहीं किया है। वकील ने यह भी कहा कि निचली आदालत में इस बारे में बहस ही नहीं हुई थी। इस पर कोर्ट ने महिला का एक ई-मेल दिखाया, जिसमें पीडिता ने फारुकी को आई लव यू लिखा था। अदालत ने वकील से कहा कि आपने भी कभी कोई ऐसा केस नहीं देखा, होगा जिसमें किसी पीडिता ने आरोपी को आई लव यू कहा हो।
महमूद फारुखी को दिल्ली हाई कोर्ट से बरी किए जाने के बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि फारुखी के खिलाफ काफी सबूत मौजूद हैं। इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट ने सितम्बर 2017 में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था।
यह केस 28 मार्च 2015 में शुरू हुआ था। महिला ने कोर्ट को ये बताया था कि बाद में फारुखी ने इ -मेल्स के जरिये उनसे माफ़ी मांगी थी, लेकिन फारुखी ने इन आरोपों से साफ़ इनकार कर दिया था। पुलिस ने 29 जून 2016 को अपनी चार्टशीट फाइल की थी, जिसमें उन्होंने ये कहा था कि फारुख ने अपने सुखदेव विहार स्थित आवास पर अमेरिकी महिला का रेप किया था। पुलिस ने फारुकी के लिए कड़ी से कड़ी सज़ा की मांग की थी।