अनुज हनुमत । Navpravah.com
चित्रकूट। बुन्देलखण्ड हमेशा से किसानों की आत्महत्या ,सूखा ,पलायन और पेयजल संकट के लिए जाना जाता रहा है। इन समस्यायों में सबसे अहम है पेयजल समस्या जिसे अगर समय रहते दूर किया जाए तो हर समस्या का अंत किया जा सकता है। यहां जल ही जीवन जैसी लोकोक्ति चरितार्थ होती है। बुन्देलखण्ड के चित्रकूट जिले का पाठा इलाका पेयजल संकट से हमेशा परेशान रहता है । ऐसे में इसके निवारण हेतु अब तक न ही सिस्टम और न ही सियासत के पास कोई ठोस मॉडल है। ऐसे में इसके निवारण हेतु पाठा की जनता की तरफ से एक ऐसा मॉडल आया है जिसने तेजी से जनता के बीच जगह बनानी शुरू कर दी है।
पाठा का कस्बा मानिकपुर जहां एक तरफ पानी की किल्लत से जूझ रहा है। यहां 25 हजार की आबादी होने के बावजूद जल संस्थान मानिकपुर यहां से 10-15 किमी दूर सेमरदहा के नलकूपो से शहरवासियों की प्यास बुझा रहा है। लेकिन सारे प्रयास नाकाफी सिद्ध हो जाते हैं । जब कभी बिजली ,कभी तकनीकी कमी से या पानी की कमी से हफ़्तों तक नलों में पानी नहि आता। वही दूसरी ओर मानिकपुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत करौहा के दक्षिणी पुर्वी भाग में बरदहा नदी से मिलने वाली अनेक्सी नदी में बांध बनाने के पर्याप्त संसाधन है।
यदि अनेक्सी नदी में एक बांध बनाया जाए तो इस जिले की पेयजल समस्या और सिंचाई की समस्या दूर हो सकती है। यह विंध्यांचल पर्वत की दो श्रेणियों के बीच मध्य प्रदेश से उतरकर चौरी के जंगल से होकर आती है जिसमे सिरसहाई नदी ,तेलिया नदी ,डेलुआ नदी,पन्ना झरना ,एवं बन्दरचुआ बहरा तथा अन्य कई छोटे नाले मिलते हैं। जो करौंहा तक आते आते अगम जलराशि में मिल जाते हैं । यही आगे बरदहा नदी में मिलकर रानीपुर गिदुरहा ,चमरौंहा ,सकरौंहा में भारी तबाही मचाते हैं।
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यदि करौहा के गजना पहाड़ एव कल्यानपुर ग्राम पंचायत के चूडा पहाड़ को जोड़कर एक किमी तक का बांध जिसकी ऊंचाई 50 मीटर लगभग की जाए जो करौहा से कारिगोही तक 16×3.5 =50 वर्गकिमी झील के बराबर जलभराव होगा तथा ओवरफ्लो नगना ( ग्राम पंचायत जारोमाफी) से होगा। जिससे न केवल पेयजल समस्या और सिंचाई समस्या खत्म होगी बल्कि 200 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जा सकता है। साथ ही यह क्षेत्र पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित होगा।
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इस नदी का पानी बरदहा नदी में टिप्पुरी बाबा(कल्यानपुर ग्राम पंचायत) नामक स्थान पर मिलता है और रानीपुर गिदुरहा ,सकरौंहा ,चमरौहां में भीषण तबाही मचाता है। बरसात में यह गांव महीनों सम्पर्क से कटे रहते हैं बांध बन जाने से यहां बाढ़ की समस्या से निजात मिलेगी । वही दूसरी ओर चौंरी के जंगल मे पानी भर जाने से दस्यु समस्या भी समाप्त होगी । बांध का पानी नहर के माध्यम से राजापुर ,बरगढ़ ,कर्वी तथा जिले के हर गांव तक बाणसागर परियोजना जैसे ले जाया जा सकता है।
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करौंहा ग्राम पंचायत अन्तर्गत पूर्व माध्यमिक विद्यालय करौहा में कार्यरत प्रधानाध्यापक कुंजबिहारी तिवारी ने बताया कि इस क्षेत्र में पानी की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए इस क्षेत्र में बांध बनाने के संसाधन मौजूद हैं। जो कि दस्यु समस्या होने की वजह से प्रशासन का ध्यान इस ओर नही जा रहा है।
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सन 1972 में सिंचाई विभाग द्वारा इस बांध को बनाने के लिए 50 मज़दूरों से 10 दिनों तक पेड़ो की कटाई का कार्य कराया गया। जिसमें महावीर कोल, राममनोहर ,ददोली निवासी करौंहा के आदि कुछ मजदूर आज जीवित हैं और उस समय की दास्तां बताते हैं। बाद में यह योजना बन्द करके पाठा रिसॉर्ट डैम के नाम से 1972-76 बरदहा डैम बनाया गया जो यहां से पांच किमी पश्चिम पर्वत के बाहर की ओर है । जबकि इस डैम में इतना जलभराव नही होता है । बरदहा नदी यही से शुरू होती है।
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खास बात ये है कि जब भी बांध बनाये जाते हैं उसमें सैकड़ो गांव डूब जाते हैं और अरबो रुपये का मुआवजा दिया जाता है जैसा कि बाणसागर परियोजना में 300 गांव डूब गए और लाखों लोग विस्थापित हुए और अरबो रुपये मुआवजा दिया गया ।जबकि इस बांध के निर्माण में एक भी घर नही डूबता है । कोई भी खेतिहर जमीन नहि है जिसका मुआवजा देना हो । केवल वन भूमि है । तो फिर सरकार को इस ओर क्यों नही ध्यान देना चाहिए । इससे पाठा की तस्वीर बदल जाएगी और जिले में पेयजल संकट दूर हो जायेगा।
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पूरे जिले के लगभग पांच सैकड़ा गांव में पेयजल समस्या पूरी तरह दूर हो जाएगी । इस सम्बंध में ग्राम प्रधान करौंहा तुलसीदास ,ग्राम प्रधान जारोमाफी के महिपाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बांध बन जाने से यह क्षेत्र पंजाब और हरियाणा की तरह खुशहाल हो जायेगा। हमारा सरकार से अनुरोध है कि इस सम्बंध में समुचित कार्यवाही की जाए। वहीं जिला पंचायत सदस्य छोटेलाल द्वारा बताया गया कि मैंने पूर्व में प्रभारी मंत्री महेंद्र सिंह को इस बारे में अवगत कराया था लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नही की गई। मैं मुख्यमन्त्री जी से अनुरोध करता हु की इस बांध का सर्वे कराकर इसे बनवाया जाए जिससे इस क्षेत्र को मुख्य धारा में लाया जा सके।