लखनऊ।। लोकसभा चुनाव नतीजे 23 मई को आने हैं। वहीँ सीएम योगी ने बड़ी कार्रवाई कर दी है। उन्होंने कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से lबर्खास्त करने की सिफरिश कर दी। इतना ही इसके साथ ही ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के अन्य नेताओं को जिन्हें सरकार में जगह मिली थी, उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है। उधर राज्यपाल राम नाईक ने तत्काल ओमप्रकाश राजभर का इस्तीफा मंजूर कर उनको पद से मुक्त भी कर दिया है। ओमप्रकाश राजभर को बर्खास्त करने के बाद उनके सभी विभाग को मंत्री अनिल राजभर को दिया गया है।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने योगी आदित्यनाथ मंत्रिमण्डल के सदस्य तथा मंत्री पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं विकलांग जन विकास, ओम प्रकाश राजभर को तात्कालिक प्रभाव से प्रदेश मंत्रिमण्डल की सदस्यता से पदमुक्त कर दिया है। राज्यपाल नाईक ने सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रस्ताव पर ओम प्रकाश राजभर को मंत्री पद से मुक्त करने के लिये अपना अनुमोदन प्रदान कर दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ की सिफारिश पर राज्यपाल ने मंजूर ओमप्रकश राजभर का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। इसके साथ ही राजभर की पार्टी के उन सभी नेताओं को भी हटा दिया गया है, जिनको मंत्री का दर्जा दिया गया था।
ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के अन्य सदस्य जो विभिन्न निगमों और परिषदों में अध्यक्ष व सदस्य हैं उन सभी को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया। आज ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक को पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की सिफारिश की थी।
बता दें कि बीजेपी और योगी आदित्यनाथ सरकार ने राजभर से अलग होने का मन पूरी तरह से बना लिया था। उधर राजभर ने यूपी सरकार से इस्तीफा देने से मना कर दिया था और प्रदेश में अपने 39 प्रत्याशी को भी चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन एग्जिट पोल सामने आने के बाद अब ओमप्रकाश राजभर को बर्खास्त करने का मन बना लिया था।इनकी पार्टी से तीन विधायक हैं। इनमें से एक कैलाश सोनकर तो चंदौली से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पाण्डेय के खिलाफ चुनाव लड़े थे। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की राजभर समुदाय के बीच पकड़ मजबूत है। ओमप्रकाश राजभर की मांग थी कि लोकसभा चुनाव में उन्हें दो से तीन सीटें दी जायें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
लोकसभा चुनाव में राजभर ने बीजेपी नेताओं पर जमकर हमला बोला। इतना ही नहीं उन्होंने अभद्र भाषा का इस्तेमाल भी किया। उल्लेखनीय है कि राजभर ने दावा किया कि वो और उनके दो सहयोगियों ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था तथा उनका अब बीजेपी से कोई रिश्ता नही रहा था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस्तीफा स्वीकार करना सरकार का काम है।