एनपी न्यूज़ नेटवर्क । Navpravah.com
मुंबई । वैदिक दर्शन प्रतिष्ठान की ओर से आर्य समाज सांताक्रूज में ‘वेद और विज्ञान पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। परिसंवाद दो सत्रों में विभाजित था। पहले सत्र में शिक्षा, साहित्य और पत्रकारिता जगत की तीन हस्तियों को सम्मानित किया गया। इस क्रम में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त रामनयन दूबे को ‘वैदिक शिक्षा रत्न सम्मान’ दिया गया। चर्चित यात्रावृत्तांत ‘देखा जब स्वप्न सवेरे’ के लेखक डॉ. जीतेन्द्र पांडेय को ‘वैदिक साहित्य श्री सम्मान’ प्रदान किया गया। दैनिक समाचार पत्र हमारा महानगर के संपादक राघवेंद्र द्विवेदी को ‘वैदिक पत्रकारिता सम्मान’ से विभूषित किया गया।
सम्मान सत्र का कुशल संचालन भारती श्रीवास्तव तथा सुमन मिश्रा ने किया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ‘वेद और विज्ञान’ पर स्वामी योगानंद सरस्वती, अरुण अब्रोल, संदीप आर्य, विश्वभूषण आर्य, सुमन मिश्रा, राहुल कुमार तिवारी, तेजस सुमा श्याम, योगेश सुदर्शन आर्यवर्ती, दिलीप भाई वेलाणी और विजयपाल शास्त्री ने अपने-अपने विचार रखे।
डॉ. ज्वलंत कुमार शास्त्री की अध्यक्षता वाले इस सत्र का सारगर्भित संचालन संस्था के अध्यक्ष पं. प्रभारंजन पाठक ने किया। वैज्ञानिक डॉ. कृष्ण कुमार मिश्र बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे । उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि वेद हमारी थाती हैं। अतः उनका संरक्षण जरूरी है। अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. ज्वलंत कुमार शास्त्री ने कहा “वेद अपौरुषेय हैं । इनमें सारी विद्याएँ बीज रूप में विद्यमान हैं।
यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनका विकास करें।” डॉ. ज्वलंत ने वेद की असीम संभावनाओं को रेखांकित करते हुए बताया कि इसके संरक्षण और संवर्धन में सृष्टि का कल्याण निहित है। पंडित प्रभारंजन ने हनुमानजी की जाति बताने वाले राजनेताओं पर कटाक्ष करते हुए बताया कि हनुमान जी मात्र ‘आर्य’ थे जिसका उल्लेख रामायण में किया गया है । आर्य का अर्थ कोई जाति-संप्रदाय-पंथ से नहीं बल्कि ‘श्रेष्ठता’ से है।
आमंत्रित अतिथियों को स्मृतिचिह्न और अंगवस्त्र के द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मौजूद सैकड़ों शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं को स्वामी दयानंद सरस्वती की पुस्तक ‘सत्यार्थप्रकाश’ भेंट की गई। अंत में श्री सुनील मानकटाला जी ने सबके प्रति आभार व्यक्त किया।