इंद्रकुमार विश्वकर्मा,
मोदी सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 2,500 करोड़ का जुर्माना लगाया है। केजी बेसिन के डी-6 फील्ड से लक्ष्य से कम गैस उत्पादन करने पर 380 मिलियन अमेरिकी डॉलर अर्थात करीब 2500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया है।
इसके साथ ही इस परियोजना क्षेत्र के विकास पर खर्चों के दावे में कंपनी का कुल 2.76 अरब डालर का दावा नामंजूर किया जा चुका है। इसका अर्थ है कि कंपनी इस परियोजना के तेल-गैस की बिक्री में से अब इतनी राशि की वसूली नहीं कर सकती है। कंपनी अप्रैल 2010 से लगातार पांच वित्तीय वर्षों में उत्पादन लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ पर पहले भी लग चुका है जुर्माना-
इससे पहले भी रिलायंस पर कम गैस उत्पादन के लिए जुर्माना लग चुका है। इस जुर्माने के साथ आरआईएल और उसकी पार्टनर कंपनियों पर कुल जुर्माना 17 हजार करोड़ से अधिक हो गया है। टारगेट से कम उत्पादन पर यह जुर्माना 1 अप्रैल, 2010 के बाद पांच फाइनेंशियल ईयर के दौरान लगाया गया है। आरआईएल और इसकी सहयोगी कंपनियों इंग्लैंड की ब्रिटिश पेट्रोलियम व कनाडा की नीको रिसोर्सेज के बीच प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट किया गया था। इसके तहत इन कंपनियों को यहां से पैदा होने वाली नैचुरल गैस को बेचकर ही रिफाइनिंग में आए खर्च को वसूल करना था।
केजी-डी6 क्षेत्र के आवंटन के समय किये गये उत्पादन भागीदारी अनुबंध पीएससी में यह व्यवस्था है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसकी भागीदारी कंपनियां ब्रिटेन की बी.पी.पी.एल.सी. और कनाडा की नीको रिसोर्सिज तेल-गैस की खोज पर आये पूंजी और परिचालन खर्च को गैस की बिक्री से प्राप्त राशि से पूरा कर सकते हैं। उसके बाद ही वह मुनाफे को सरकार के साथ बांटेंगे।
केवल 10 फीसदी ही हो रहा है उत्पादन-
रिलायंस के केजी बेसिन-डी6 से प्रतिदिन 80 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर नैचुरल गैस उत्पादन का टारगेट है। लेकिन 2011-12 में यह रोजाना केवल 35.33 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर, 2012-13 में 20.88 और 2013-14 में महज 9.77 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर ही रहा। मौजूदा समय में इस रिजर्व से रोजाना केवल 8 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर नैचुरल गैस उत्पादन हो पा रहा है।
गौरतलब है कि कंपनी के खर्च के उपरोक्त दावे नामंजूर होने से खनिज तेल-गैस मुनाफे में सरकार की हिस्सेदारी बढ़ेगी। वित्त वर्ष 2013-14 तक क्षेत्र में 2.376 अरब डालर की लागत को नामंजूर किया गया था। जिसके परिणामस्वरूप सरकार की क्षेत्र के पेट्रोलियम मुनाफे में भागीदारी 19.53 करोड़ डालर बढ़ गई।