आचार्य प्रदीप द्विवेदी
कल (8 अप्रैल) से चैत्र नवरात्रि का शुभारम्भ हो रहा है। हर घर में जगत जननी माँ जगदम्बा के आगमन की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। इस बार यह नवरात्रि मात्र 8 दिनों का ही है। विद्वानों के मतानुसार चैत्र नवरात्रि का महात्म्य शारदीय नवरात्रि से भी अधिक होता है। इस समय माँ दुर्गा पृथ्वी में ही विराजती हैं।
नवरात्रि के इस पावन समय में हर भक्त अपनी भक्ति-आराधना से माँ भगवती को प्रसन्न करना चाहता है। भक्त मां के नौ स्वरुपों की पूजा-अर्चना और व्रत रखता है। जिससे मां की कृपा उन पर सदैव बनी रहे।
देवी के नौ रूपों के संबंध में एक श्लोक है, जिसमे माँ के सभी रूपों का वर्णन है।
यह श्लोक कुछ इस प्रकार है-
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रम्हचारिणी, तृतीयं चंद्रघंटेति, कुष्मांडेति, चतुर्थक, पंचमम स्कंदमातेति, षष्ठं कात्यायनीति, च सप्तम कालरात्रिति, महागौरीति, चाष्ठमं, नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता।
इस श्लोक के अनुरूप नौ दिनों तक इस रूप का विधि विधानपूर्वक आह्वान, पूजन और जप के बाद नवें दिन हवन करने से मां दुर्गा अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करती है।
चैत्र नवरात्रि-
पंचांगों के अनुसार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत चैत्र प्रतिपदा को ही होती है। जोकि हिंदू कैलेण्डर का पहला दिवस होता है। माँ जगदम्बा के सभी भक्त नूतन वर्ष के पहले 9 दिन पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं। इस चैत्र नवरात्रि को वंसत नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।
चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्र भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, जो कि चैत्र के अन्तिम दिन पड़ता है। चैत्र नवरात्रि उत्तर भारतीय प्रदेशों में अधिक प्रचलित है। महाराष्ट्र में चैत्र नवरात्रि की शुरूआत गुढी पाड़वा से होती है।