नई दिल्ली. देश में नागरिकता संशोधन कानून का जोर से विरोध हो रहा है. यहां तक की ये बात कई देशो में चल रही है. लोगो के साथ पाकिस्तान जैसे कई देश इसका विरोध क्र रहे है. लेकिन कुछ देश इसका स्पोर्ट भी कर रहे है. जिसमे श्रीलंका भी शामिल है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि श्रीलंका के संविधान के 13वें संशोधन के साथ सुलह की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जरूरत है. बता दें कि अपना कार्यभार संभालने के बाद, उन्होंने प्रधानामंत्री मोदी के आमंत्रण को स्वीकार किया था और भारत को अपने पहले विदेशी दौरे के लिए चुना था.
श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने CAA के मुद्दे पर भारत का समर्थन किया है और इसे भारत का आंतरिक मुद्दा करार दिया है. पांच दिन के भारत दौरे पर आए महिंदा राजपक्षे ने इंडिया टुडे के साथ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर लंबी बात की.
CAA भारत का आंतरिक मुद्दा
इस दौरान जब भारत के नये नागरिकता संशोधन कानून से तमिलों को बाहर रखने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये भारत का आंतरिक मुद्दा है और श्रीलंका में रह रहे लोग जब चाहें तब लौट सकते हैं. CAA पर टिप्पणी करते हुए श्रीलंका के पीएम महिंदा राजपक्षे ने कहा, “ये भारत का आंतरिक मसला है, श्रीलंका के लोग जब चाहे लौट सकते हैं. उनके घर वहां हैं, वे जब चाहें तब वापस आ सकते हैं, हमें कोई दिक्कत नहीं है. हाल ही में 4 हजार लोग वापस लौटे हैं, ये सब इस पर निर्भर करता है कि वे क्या चाहते हैं.”
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अल्पसंख्यक समुदाय के कथित भय को खारिज करते हुए महिंदा राजपक्षे ने कहा, “हम लोग भाई जैसे हैं, एक श्रीलंकाई के तौर पर हम उन्हें बराबर मानते हैं चाहे वो अल्पसंख्यक हों या बहुसंख्यक. इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है, चाहे वो मुस्लिम हों, हिन्दू या बौद्ध, इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है, हम लोग कभी भेदभाव नहीं करेंगे.”
प्रधानमंत्री ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में महिंदा राजपक्षे के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की सरकार संगठित श्रीलंका में तमिल लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि श्रीलंका सरकार ‘संगठित श्रीलंका में समानता, न्याय, शांति सम्मान के लिए तमिल लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी.