प्रो.अरुण कुमार श्रीवास्तव | Navpravah.com
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का एक गौरवशाली इतिहास रहा है … इसी छात्रसंघ ने देश को दो प्रधानमंत्री दिये स्व.चन्द्र शेखर एवं स्व.विश्वनाथ प्रताप सिंह …इनके अलावा देश ही नहीं विदेशों में भी शीर्ष तक पँहुचे अनगिनत लोग इसी छात्रसंघ से तप कर निकले थे।
अभी हाल में संपन्न छात्रसंघ के चुनाव में धनबल और बाहुबल का जो तांडव देखने को मिला उसपर विश्वविद्यालय से जुड़ा हर व्यक्ति न केवल शर्मसार है वरन बेहद चिंतित भी है क्योंकि ये लक्षण बताते हैं कि विश्वविद्यालय किसी गम्भीर बीमारी से ग्रस्त है ।
चुनाव परिणाम आने के बाद जिस तरह की हिंसा और आगजनी की घटनायें हुयीं मैं उनकी कठोरतम शब्दों में निंदा करते हुए यह माँग करता हूँ कि दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध शीघ्रतातिशीघ्र कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। ऐसे अपराधी तत्वों के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कोई स्थान नहीं है।
विगत तीन सालों में विश्वविद्यालय अनियमितता .. मनमानी … भ्रष्टाचार … कदाचार … दुराचार … की खान बन गया है …. फिर भी जाने क्यों केन्द्र द्वारा गठित दो समितियों की रिपोर्ट ठंढे बस्ते में डाल दी गई हैं .. वह भी तब जब एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में यहाँ तक लिख दिया है कि यदि मानव संसाधन मंत्रालय ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय को बंद करना पड़ेगा।
आसार कितने बुरे हैं यह इससे समझा जा सकता है कि विश्वविद्यालय के पास वेतन और पेंशन देने के लिए भी पैसा नहीं है ।
(लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय ,केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के पूर्व विभागाध्यक्ष व देश के अग्रणी वैज्ञानिक हैं।)