सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com
1994 में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम व्यवस्था देते हुए कहा था कि मस्जिद, इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है, अब इस मामले में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 1994 के फैसले पर बड़ी पीठ द्वारा पुनर्विचार करने की मांग करने वाली मुस्लिम समूह की याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट के अपना फैसला सुनाएगी।
इस मसले पर एक निजी चैनल से बात करते हुए योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि, भगवान राम राजनीति का मुद्दा नहीं है, भगवान श्रीराम देश की अस्मिता के प्रतीक हैं और देश का स्वाभिमान उनसे जुड़ा है, इसलिए धर्म के नाम के पर जहर न फैलाया जाए।
उन्होंने कहा सृष्टि के कण कण में परमात्मा है, अल्लाह है, मुसलमान भाई कहते हैं अल्लाह एक ही है, सारी कायनात में है, उसके लिए एक जगह विशेष का महत्व नहीं है, उन्होंने कहा देश के सिंघासन के लिए उस राम के नाम पर घमासान हो रहा है, जो मर्यादा में जीए, जिन्होंने माता- पिता के लिए सिंघासन का त्याग कर दिया।
उन्होंने गीता का हवाला देते हुए कहा कि गीता में लिखा है कि अच्छे कर्म करो, उन्होंने कहा कि राम, शिव, कृष्ण की पूजा करने का मतलब उनकी छवि को धारण करना मात्र नहीं होता, पूजा करने काम मतलब है जीवन को उनकी तरह जियो।
बता दें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ आज मालिकाना हक को लेकर अपना फैसला सुना सकती है, पीठ ने 20 जुलाई को इसे सुरक्षित रख लिया था।
अयोध्या मामले के एक मूल वादी एम सिद्दीक ने एम इस्माइल फारूकी के मामले में 1994 के फैसले में इन खास निष्कर्षों पर ऐतराज जताया था जिसके तहत कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम के अनुयायियों द्वारा अदा की जाने वाली नमाज का अभिन्न हिस्सा नहीं है, सिद्दीकी की मृत्यु हो चुकी है और उनका प्रतिनिधित्व उनके कानूनी वारिस कर रहे हैं।