अनुज हनुमत,
उरी आतंकी हमले के बाद अब भारत ने पूरा मन बना लिया है कि वह पाकिस्तान के साथ सख्ती से पेश आएगा। इसी क्रम में पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत अपने पड़ोसी मुल्क से सिंधु जल समझौता तोड़ सकता है। सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार इस पर जल्दी ही फैसला ले सकती है।
मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इस जल समझौते पर कहा कि किसी भी समझौते के लिए दोनों देशों में आपसी भरोसा और सहयोग होना जरूरी है और यह एकतरफा नहीं हो सकता। इसी बयान के बाद अब कयास लगाये जा रहे हैं कि केंद्र सरकार अब सख्ती के मूड में है। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान पानी के लिए तरस जायेगा।
आपको बता दें कि सिंधु नदी संधि को आधुनिक विश्व के इतिहास का सबसे उदार जल बंटवारा माना जाता है। इसके तहत भारत द्वारा पाकिस्तान को 80.52 फीसदी पानी यानि 167.2 अरब घन मीटर पानी सालाना दिया जाता है। नदी की ऊपरी धारा के बंटवारे में उदारता की ऐसी मिसाल दुनिया में और किसी जल समझौते में नहीं मिलती। 1960 में हुए सिंधु समझौते के तहत उत्तर और दक्षिण को बांटने वाली एक रेखा तय की गई है, जिसके तहत सिंधु क्षेत्र में आने वाली तीन नदियों का नियंत्रण भारत और तीन का पाकिस्तान को दिया गया है।
उरी हमले के बाद पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई के सवाल पर स्वरूप ने कहा कि हमारा काम अपने आप बोलता है और हमारे एक्शन से नतीजे आने शुरू हो गए हैं। आगे उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में किसी भी देश ने कश्मीर के मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं कहा, लेकिन नवाज शरीफ के भाषण का 80 फीसदी कश्मीर पर केंद्रित था।
विकास स्वरूप ने कहा कि ‘हमें डोजियर की जरूरत नहीं, दुनिया पाक की सच्चाई जानती है। नवाज शरीफ ने बुधवार को अपने भाषण में कहा था कि वो कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर संयुक्त राष्ट्र को एक डोजियर सौपेंगे और कश्मीर हिंसा की जांच कराने की मांग करेंगे। इस पर विकास स्वरूप ने कहा कि हमें यूएन महासचिव के बयान में इसका कोई जिक्र नहीं मिला।
कुलमिलाकर केंद्र की मोदी सरकार यह नहीं चाहती कि अब पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर किसी प्रकार की कोई ढिलाई हो।