सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com
रोहिंग्या शरणार्थियों को उनके देश वापस भेजने का मुद्दा बहुत दिन से छाया हुआ है, इस विवाद के बीच आज भारत सरकार पहली बार देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को म्यांमार वापस भेज रही है।
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच कर रही है, सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि म्यांमार ने अभी इन सभी के उनका नागरिक होने की पुष्टि नहीं कर रही है।
सभी सातों रोहिंग्याओं को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू भी हो गई है, आज सुबह करीब 7.30 बजे उन्हें इम्फाल से मणिपुर की मोरेह सीमा पर ले जाया जा रहा है, जिसके बाद उन्हें म्यांमार इमिग्रेशन ऑफिस में भेजा जाएगा।
सातों रोहिंग्या असम के सिलचर में मौजूद हिरासत केन्द्र में बंद थे, केन्द्रीय गृह मंत्रालय के एक अफसर के मुताबिक गुरुवार को मणिपुर की मोरेह सीमा चौकी पर 7 रोहिंग्या प्रवासियों को म्यांमार के अधिकारियों को सौंपा जाना है।
पड़ोसी देश की सरकार के गैरकानूनी प्रवासियों के पते की रखाइन राज्य में पुष्टि करने के बाद इनके म्यांमार के नागरिक होने की पुष्टि हुई है, यह पहली बार है जब रोहिंग्या प्रवासियों को भारत से म्यांमार भेज रही है।
काचार जिले के अफसरों ने बताया कि, जिन्हें वापस भेजा जा रहा है, उनमें मोहम्मद जमाल, मोहबुल खान, जमाल हुसैन, मोहम्मद युनूस, सबीर अहमद,रहीम उद्दीन और मोहम्मद सलाम शामिल हैं।
भारत सरकार ने पिछले साल संसद को बताया था कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर में पंजीकृत 14,000 से अधिक रोहिंग्या भारत में रहते हैं, हालांकि मदद प्रदान करने वाली एजेंसियों ने देश में रहने वाले रोहिंग्या लोगों की संख्या करीब 40,000 बताई है।
संयुक्त राष्ट्र रोहिंग्या समुदाय को सबसे अधिक दमित अल्पसंख्यक बताता है, मानवाधिकार समूह ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने रोहिंग्या लोगों की दुर्दशा लिए आंग सान सू चीऔर उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।