•एक ही बाहरी लैब संचालक को सीएचसी बुला कराया जा रहा जांच
•सीएचसी प्रभारी मौन, सीएचसी में लैब होने के बाद चल रहा यह खेल
•ब्लड टेस्ट के लिए जा रहे 500 से 1000 रुपये
रामकृष्ण पाण्डेय | navpravah.com
भदोही (उप्र.)। भदोही जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डीघ के स्वास्थ्य कर्मचारी-अधिकारी पूरी तरह मनमानी पर उतारू हैं। यहां के बेदर्द हाकिमों को न सरकार की मंशा व आदेशों का ख्याल है, न ही अफसरों की कार्रवाई का डर। मानवता और संवेदनशीलता तो इनमें अब बची ही नही है।
सीएचसी डीघ में पैथालॉजी उपलब्ध होने के बावजूद आदर्श पैथालॉजी सेंटर के पैथालाजिस्ट को खून जांच हेतु बुलाया जा रहा है। उसे मरीज नहीं, बल्कि यहां के कर्मचारी ही बुला रहे हैं। जांच के एवज में बेबस मरीजों से 500 से 1000 रुपये तक की वसूली कर उनके तीमारदारों को और लाचार बनाया जा रहा है।
हाल ही में सीएचसी आये क्षेत्र के नारेपार पाल बस्ती निवासी एक गर्भवती महिला के तीमारदारों से अस्पताल पर ब्लड टेस्ट के लिए सैम्पल दिलाकर जब 600 रुपये लिए गए तो जागरूक परिजन उखड़ गए। उन्हें बताया गया कि बाहर से डॉक्टर बुलाया गया था। पीड़ित परिजनों ने तत्काल आरोप का वीडियो बनाते हुए मौके पर मौजूद सीएचसी प्रभारी डॉ. फूलचंद से वीडियो बनाते हुए इस बात की शिकायत की। किंतु शिकायत के दौरान वीडियो में प्रभारी व चिकित्सक मामले की जानकारी लेने व कार्रवाई करने के बजाय सिर गड़ाए बैठे रहे। जानकारी होने बाद भी मीडियाकर्मियों के सवाल पर प्रभारी चिकित्सक पहले तो अनभिज्ञ बने। बाद में मीडियाकर्मियों से कहा कि आप लोग नाम बताएंगें तो कार्रवाई होगी।
◆ यह है पूरा माजरा, सेटिंग के तहत चल रही पैथालॉजी-
सवाल है कि पैथालॉजी की सुविधा अस्पताल पर होने के बाद भी आखिर किस खेल और सेटिंग के तहत बाहर के एक ही पैथालॉजी सेंटर के संचालक को बुलाकर ब्लड टेस्ट कराया जा रहा है और सरकार की निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा देने की मंशा पर पानी फेरते हुए गरीब मरीजों का खून चूसा जा रहा है। कहीं न कहीं यह पूरा खेल कमीशनखोरी से जुड़ा हुआ है।
सूत्र बताते हैं कि यहां के कर्मचारियों की सेटिंग से ही ब्लॉक गेट के निकट आदर्श पैथालॉजी सेंटर डाला गया है। मरीजों के ब्लड टेस्ट के लिए उसी टुटपुँजिया सेंटर को बुलाकर सैम्पल दिया जाता है। जिसके एवज में मनमानी रुपये मरीजों से लिए जाते हैं। सीएचसी में लैब होने बावजूद बाहर के एक ही सेंटर से पैथालाजिस्ट को बुलाना सेटिंग-गेटिंग के चक्कर की कहानी साफ बयां करता है।
यह लैब सेंटर विभाग में पंजीकृत है या नहीं और टेक्निकल असिस्टेंट की उपस्थिति होती है या नहीं, यह भी जांच का विषय है। जानकारी होने के बाद भी प्रभारी किसको बचा रहे हैं। यही नहीं करीब बारह सालों से अंगद के पांव की तरह एक ही सीएचसी पर कुंडली मारे बैठे डीघ चिकित्सा प्रभारी को किसका अभयदान मिल रहा है। वहीं सीएमओ डॉ. संतोष कुमार चक ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है, जांच कर कार्रवाई की जाएगी।